वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी नृपराज डनसेना ने कृषकों को सलाह दी कि फसल चक्र परिवर्तन अपनाते हुए धान के स्थान पर रागी फसलों की खेती करने से किसानों की आर्थिक स्थिति और अधिक सुदृढ़ होगी। वहीं कृषि विस्तार अधिकारी जन्मेजय पटेल ने कहा कि रागी फसल में आयरन विटामिन प्रोटीन कैल्शियम कार्बोहाइड्रेट खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। ऐसे में किसान इसे लोकल मार्केट के अलावा बीज निगम में भी पंजीयन करवा कर अच्छे दाम में बिक्री कर सकते हैं।
किसानों को दी गई उपयोगी सलाह
वरिष्ठ कृषि अधिकारी तथा कृषि विस्तार अधिकारी ने रागी फसल के फायदे बताते हुए कहा कि रागी फसल से 2 गुना लाभ कमाया जा सकता है, क्योंकि रागी में धान की अपेक्षा कीट पतंगों आदि बीमारियों का आक्रमण भी कम होता है तथा इस फसल को खरीफ एवं रबी मौसम में भी बोया जा सकता है। बताया कि रागी फसल की बोनी जून से जुलाई के मध्य की जाती है। वहीं 1 एकड़ के लिए 2 से 3 किलो बीज पर्याप्त होते हैं। रागी फसल हेतु 15 से 20 दिनों के पौधे की रोपाई कर लेना चाहिए। यह पौधे 90 से 100 दिन में पक कर तैयार हो जाते हैं। वहीं प्रति एकड़ 15 क्विंटल तक उत्पादन होता है। इसे सभी प्रकार की हल्की मध्यम एवं भारी मिट्टी अथवा अनुपयोगी भूमि में भी बोया जा सकता है। रागी फसल अधिक उपयोगी होने की वजह से महंगी बिकती है, जिससे कृषकों की आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।