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30 साल के लिए होटल मोटेल किराये पर दिये जायेंगे … पर्यटन मंडल ने ओडिशा व मध्यप्रदेश की तर्ज पर बनाई पॉलिसी…

  • जिले के चक्रधर मोटेल व खम्हार पाकुट रेस्ट हाउस भी इनमें शामिल

रायगढ़, 04 अप्रैल। पर्यटन स्थालों में पर्यटकों को रहने, खाने की अच्छी सुविधा मिले और पर्यटन मंडल के राजस्व को बढ़ाया जा सके, उसके लिए छग पर्यटन मंडल ने अपने होटल व मोटेल किराये पर दिए जाने का निर्णय लिया है। इच्छुक कारोबारियों को ये होटल-मोटेल 30 साल के लिए किराये पर दिया जाएगा। शासन को इसको प्रपोजल बनाकर भेजा गया है वहां से हरी झंडी मिलते ही टेंडर की प्रक्रिया भी शुरू कर दी जाएगी।

प्रदेश में पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं। वनों से सुसज्जित इस राज्य के कई ऐसे जिले हैं जहां की वादियां लोगों को स्वमेव अपनी ओर आकर्षित करती हैं। इसके अलावा कई जिलों में स्थित धार्मिक स्थलों में भी दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं। यही वजह है कि ऐसे जिलों में पर्यटन को बढ़ावा देने और पर्यटकों को सुविधा प्रदान करने के ही उद्देश्य से ही भाजपा शासनकाल में अधिकांश जिलों में पर्यटकों के लिए लाखों-करोड़ों रुपये खर्च करके होटल व मोटेल का निर्माण कराया गया था। इसके तहत रायगढ़ में भी कोड़ातराई मार्ग पर चक्रधर मोटेल का निर्माण किया गया था। इसके अलावा खम्हार पाकुट जलाशय स्थित रेस्ट हाउस को भी पर्यटकों के अनुरूप विकसित करते हुए नया स्वरूप दिया गया था। ताकि बाहर से आने वाले पर्यटकों को यहां आने के बाद ठहरने व खाने-पीने की सारी सहूलियतें मिल सकें और इससे पर्यटन मंडल का खजाना भी भरता रहे मगर आज इन होटल व मोटेल की क्या स्थिति है, यह किसी से छिपी नहीं है।

लाखों-करोड़ों रुपये खर्च कर पर्यटकों के लिए बनाये गए इन होटल से आज तक राजस्व के नाम पर पर्यटन मंडल को एक रुपया तक नहीं मिल सका है। देखरेख के अभाव में ये भवन अय्यासी का अड्डा बनते जा रहे हैं। यह सिर्फ रायगढ़ जिले की स्थिति नहीं है बल्कि प्रदेश के अधिकांश होटल व मोटेल की अमूनन यही स्थिति है। यही वजह है कि पर्यटन मंडल ने अब अपने ऐसे होटल-मोटेल जोकि खाली पड़े हैं और वहां से राजस्व के नाम पर कुछ भी हासिल नहीं हो या रहा है, उन्हें किराये पर देने के प्लानिंग पर काम करना शुरू कर दिया है। इसमें रायगढ़ जिले के भी दोनों होटल-मोटेल शामिल हैं। बताया जाता है कि ग्लोबल टेंडर किया जाएगा। इस टेंडर में प्रदेश के अलावा दूसरे प्रान्त के कारोबारी शिरकत कर सकेंगे। टेंडर प्रक्रिया दो चरणों में पूरी की जाएगी ताकि किसी भी प्रकार के विवाद की स्थिति न बन सके।

अब तक सफेद हाथी साबित हो रहे
पर्यटन मंडल के होटल-मोटेल अब तक सरकार के लिए सफेद हाथी साबित हो रहे हैं। वर्तमान में इन जगहों से नाममात्र की आमदनी मिल रही है। यही वजह है कि करोड़ों की लागत से बने इन होटल-मोटेल, रेस्ट हाउस को ठेके पर देने की पूरी तैयारी कर ली गई है।

पड़ोसी राज्यों ने किया है अच्छा कारोबार
पर्यटन मंडल ने प्रदेश के होटल-मोटेल को किराए पर दिये जाने से पूर्व ओडिशा और मध्यप्रदेश का दौरा किया और वहां की पर्यटन नीति को समझा। दोनों ही राज्य में होटल-मोटेल को किराए पर देकर अच्छा कारोबार किया जा रहा है। इसी पॉलिसी को अब प्रदेश में लागू करते हुए खंडहर व वीरान पड़े ऐसे होटल-मोटेल से अपना खजाना भरने का निर्णय लिया है।

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