निस्वार्थ भाव से जरूरतमंद की सहायता करना ही ईश्वर की सच्ची सेवा
निस्वार्थ भाव से जरूरतमंद की सहायता करना ही ईश्वर की सच्ची सेवा
परोपकार, दूसरों का भला करना आपको बहुत ही अच्छा लगता ही होगा । जिस प्रकार पेड़ अपने फल दूसरों को देते हैं तालाब अपना पानी दूसरों को देते हैं वैसे ही सज्जन लोग दूसरों की सहायता के लिए अन्न धन इकट्ठा करते हैं। यह सभी नीति वचन आप को परोपकार के लिए प्रेरित करते हैं।जरूरतमंद लोगों की सहायता करना सबसे बड़ा धर्म
दूसरों की सहायता करना आपको बहुत ही अच्छा लगता होगा। हमें बड़ा होकर समाज में जरूरतमंद लोगों की सहायता करना चाहिए।
(झारसुगड़ा से पैदल रजघट्टा-रानीसागर रेल्वे ट्रेक पर आते देख जिम्मेदारों ने जिम्मेदारी निभाते हुए भोजन करा, गृह ग्राम पहुंचाने का व्यवस्था किया गया)
जो व्यक्ति मुश्किल में हो और उसकी सहायता करना मन को आनंद देता है। आप किसी भी व्यक्ति को दुखी नहीं देख सकते है और देखना भी नहीं चाहिए क्योंकि हमारी सभ्यता और संस्कृति हमें “सर्वे भवंतु सुखिनः”सिखाती है।
माँ कपालेश्वर से सबकी कल्याण की प्रार्थना किया जाता है।जो मुश्किल में फंसे जरूरतमंद लोगों की सहायता करेगा, सहायता चाहे आर्थिक हो या शारीरिक लोगों की मदद जरूर होगी।कोई भी व्यक्ति घर जाने से वंचित ना रहे इस बात का विशेष ध्यान रखा जाएगा कोई नंगा या भूखा ना रहे इसके लिए जो यथासंभव प्रयास होगा मैं जरूर करूंगा और आप भी करेंगे।
मुझे पता है कि शुरू में मुश्किल तो आएगा पर उम्मीद है कि धर्म नगरी के दानवीरों अच्छे लोग भी बहुत हैं जो इस पुनीत कार्य में जुड़ते जाएंगे। मनुष्य वही है जो परोपकार करें इस तरह की भावना सब में विकसित होगा तो इस कोरोना वायरस के कारण देश में राष्ट्रीय आपदा आयी है। प्रशासन पुलिस परिवार के साथ आप और हम जंग जीत ही जाएंगे।हम सब के धर्म नगरी के धनकुबेरों, रहवासी का स्नेह दुलार आर्शीवाद मिलें