

दरअसल, उद्यान विभाग ने जिलेभर में 42 जगह चिन्हित कर ऑटोमेटिक वेदर मशीन लगाई है जिससे अब फसल नुकसानी का सहीं ढंग से आंकलन हो सकेगा और किसानों को उसका मुआवजा भी मिलेगा। पिछले कुछ सालों से मौसम में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। दो-तीन सालों से तो हालात इसकदर हो गए हैं कि पता ही नहीं चलता, कौन का मौसम चल रहा है क्योंकि आजकल बारह महीने ही बारिश दर्ज की जा रही है। इससे जनजीवन पर तो प्रभाव पड़ता ही है मगर सबसे ज्यादा किसान इससे प्रभावित होते हैं। खासकर मौसम आधारित फल व सब्जी की खेती करने वाले किसानों को मौसम की मार के चलते लगातार आर्थिक क्षति उठानी पड़ रही है।
बेमौसम बारिश के कारण फसल बर्बाद होने से उनकी मेहनत व पूंजी दोनों ही पानी मे बह जाती है। इसमें दुबले पर दो आषाढ़ की मार यह कि फसल बीमित होने के बावजूद किसानों को उचित मुआवजा तक नहीं मिल पाता है। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों से किसानों की हालत काफी खराब हो चली है। उद्यान विभाग ने किसानों की इस समस्या को काफी गंभीरता से लिया है और उनकी राहत के लिए अब एक नई व्यवस्था कर दी है ताकि फसल नुकसानी के बावजूद उन्हें ज्यादा आर्थिक क्षति न हो सके।
दरअसल, हर साल उद्यान विभाग की ओर से किसानों को कई तरह की फसल दी जाती है जिसे ग्रामीण अपने खेतों में लगाते भी हैं। इसमें किसी की फसल बीमित होती है तो किसी की नहीं होती है लेकिन अक्सर देखा जाता है कि बेमौसम बारिश के कारण फसलों को भारी नुकसान होता है मगर किसानों को उसकी भरपाई नहीं मिल पाती। यही वजह है कि उद्यान विभाग ने अब फसल नुकसानी का आंकलन करने के लिए 42 जगहों पर ऑटोमेटिक वेदर मशीन लगाई है। इससे यह पता चल सकेगा कि कौन से क्षेत्र में कितनी बारिश हुई है और कितनों के फसलों में कितना नुकसान हुआ है। इसके आधार पर ही बीमा कंपनी मुआवजा राशि तय करेगी।
सटीक मौसमी आंकड़े दर्ज होते हैं
उद्यान विभाग के सहायक संचालक डॉ. कमलेश दीवान ने बताया कि पुनर्गठित फसल बीमा के तहत ही बीमा कंपनियों के माध्यम से 42 ऑटोमेटिक वेदर मशीन लगाया गया है। इसमें सटीक मौसमी आंकड़े एकत्रित किये जाते हैं और उसी के आधार पर ही क्लेम निर्धारित होता है। इस मशीन से वर्षा के साथ ही टेम्परेचर के रिकार्ड भी दर्ज होते हैं। सभी मशीनें चालू हालत में हैं या नहीं और अच्छी तरह से काम कर रहे हैं या नहीं इसको देखने के लिए विभागीय टीम समय-समय पर इसकी जांच भी करता है।




