किसानों को धान के अलावा दूसरी फसलें लेने के लिए जागरूक करने दलहन को भी एमएसपी व्यवस्था से जोड़ा जा रहा है। राज्य सरकार अरहर, मूंग और उड़द की खरीदी करने का निर्णय लिया है। रायगढ़ जिले में खरीफ में तीनों की खेती होती है, लेकिन रबी में केवल उड़द और मूंग का ही उत्पादन होता है। बोनी रकबा और उत्पादन के लिहाज से खरीफ सीजन ही महत्वपूर्ण है। रबी में दलहन का रकबा बहुत कम होता है। 21-22 में तीनों फसलों के क्षेत्राच्छादन और उत्पादन की तुलना करें तो थोड़ी मायूसी होती है। इस वर्ष खरीफ में करीब 12500 हे. में अरहर की खेती हुई थी जिसमें करीब 16437 एमटी उत्पादन हुआ जिसका औसत 1.31 एमटी प्रति हेक्टेयर रहा। इसी तरह उड़द 45200 हे. में लगाया गया था जिसमें 6.55 क्विं. प्रति हे. की औसत से 29606 एमटी उत्पादन दर्ज किया गया है। मूंग में तो बोनी रकबा ही केवल 5100 हे. है। इसमें 5.7 क्विंटल प्रति हे. की औसत से 2907 एमटी उत्पादन दर्ज किया गया। वर्ष 17-18 से 21-22 की बीच पांच सालों में इन तीनों फसलों के रकबे की तुलना करें तो केवल उड़द का रकबा डेढ़ गुना बढ़ा है। मूंग और अरहर में बहुत कम बढ़ोतरी हुई है। रबी सीजन में मूंग के उत्पादन में करीब 25 प्रश तो उड़द में करीब 50 प्रश गिरावट आ जाती है।
कितना फायदा होगा किसान को
तीनों फसलों की खरीफ सीजन में ही खरीद हो सकती है क्योंकि धान को कम करने के लिए यही करना पड़ेगा। फिलहाल अरहर दाल की एमएसपी 6300 रुपए प्रति क्विं., उड़द का एमएसपी 6300 रुपए प्रति क्विं. और मूंग का एमएसपी 7275 रुपए प्रति क्विं. है। रायगढ़ जिले में पिछले पांच साल का औसत निकालें तो प्रति एकड़ अरहर की पैदावार 5 क्विं., उड़द का उत्पादन 2.32 क्विं. और मूंग का 2.25 क्विं. है। इस हिसाब से किसान को प्रति एकड़ अरहर से 31500 रुपए, उड़द से 14616 रुपए और मूंग से 16368 रुपए आय होगी। धान के अलावा दूसरी फसल लेने पर 9000 रुपए प्रति एकड़ बोनस भी जोड़ा जाए तो अरहर में लाभ हो सकता है। प्रति एकड़ 15 क्विं. धान बेचकर किसान को 37500 रुपए की आय हो रही है। दलहन को हर तरह की मिट्टी में लगाना संभव भी नहीं है।
किसान और सरकार के हित में है फसल विविधता
छग की पूरी कृषि धान के इर्द-गिर्द सिमट गई है। एमएसपी के अलावा बोनस देने की नीति प्रारंभ होने के बाद धान की खेती में बढ़ोतरी हुई है। इसका नतीजा यह हुआ कि जितना धान सरकार खरीदती है, उसका निराकरण समय पर नहीं होता। इससे हर साल करोड़ों का नुकसान हो रहा है। नान और एफसीआई के गोदाम चावल से भर चुके हैं। वहीं दालों के उत्पादन में गिरावट हुई है, जबकि महंगाई को देखते हुए इसमें इजाफा होना था। दलहन की एमएसपी पर खरीद से सरकार और किसानों दोनों को लाभ होंगे। एक तरफ धान कम रकबे पर लगाया जाएगा, वहीं दालों का स्थानीय स्तर पर उत्पादन प्रारंभ होगा। इससे रोजगार भी बढ़ेंगे। अब पड़ती भूमि या टिकरा में धान के बदले दलहन लेने का चलन बढ़ेगा।
क्या कहते है हरीश राठौर…
दलहन की एमएसपी पर खरीदी का निर्णय किसान हित में है। उत्पादन बढ़ाने के लिए तेजी से प्रयास करने होंगे। कृषि विभाग इसकी तैयारी कर रहा है।
हरीश राठौर डीडीए