जामझोर अभय मोहन्ती निवास पहुंच उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल गणेश पूजन में हुए शामिल
गणपति के हर अंग में छिपा है एक खास संदेश, मानने से हो सकता है आपका जीवन सफल
भगवान श्री गणेश का स्वरूप सबसे अलग है। लेकिन इनका हर एक अंग हमारे जीवन को प्रभावित करने वाला संदेश देता है।
जामझोर अभय मोहन्ती के निवास पहुंच उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल गणेश पूजन में हुए शामिल
गणेश चतुर्थी का त्योहार 2 सितंबर से शुरु हुआ था जोकि 12 सितंबर तक चलेगा। इन 10 दिनों तक गणेश जी के 10 नाम गणाधिप, उमापुत्र, अघनाशन, विनायक, ईशपुत्र, सर्वसिद्धि, एकदन्त, इभवक्त्र, मूषकवाहन अवं कुमारगुरू का स्मरण किया जाता है।
भगवान श्री गणेश का स्वरूप सबसे अलग है मोटा शरीर, बड़ा उदर यानि पेट, चार हाथ, हाथी का सिर, लंबे कान, एकदंत और छोटी-छोटी आंखे। लेकिन इनका हर एक अंग हमारे जीवन को प्रभावित करने वाला संदेश देता है। जानें हर एक अंग का आखिर क्या है संदेश।
07 सितम्बर को खरसिया विकास खण्ड के राष्ट्रीय राज मार्ग 49के निरीक्षण के दौरान जामझोर निवासी कांग्रेस के कद्दवार नेता अभय मोहन्ती पहुंच खरसिया विधायक उमेश पटेल उच्च शिक्षा मंत्री पहुंच गणेश जी का पूजा अर्चना कर क्षेत्र ,प्रदेश में अमन चैन खुशहाली का आर्शीवाद लिए मंत्री उमेश पटेल उच्च शिक्षा मंत्री के साथ विधान सभा क्षेत्र के कांग्रेस के मनोज गबेल, नेत्रनंद पटेल,सुखदेव डनसेना, टकेश्वर राठौर युवाओं का टोली भोग प्रसाद ग्रहण किए।
मस्तक
गणपति का हाथी समान मस्तक-हाथी बल व शक्ति का प्रतीक माना जाता है, साथ ही हाथी की स्मरण शक्ति भी बहुत तेज़ होती है। ऐसे में गणपति जी का विशाल मस्तक उत्तरदायित्वों के बोझ को सहने, हर तरह की दुख तकलीफों में भी खुद को सामान्य व धैर्यवान बनाए रखने और बुद्धिमता का प्रतीक है। वहीं गणपति जी की छोटी- छोटी आंखे हमें क्या संदेश देती हैं।
सूक्ष्म आंखों
गणपति जी की सूक्ष्म आंखों की। आपने देखा होगा कि भगवान गणेश का मुंह तो बेहद विशाल है लेकिनउनकी आंखे उस हिसाब से छोटी हैं। लेकिन गणपति जी की ये सूक्ष्म आंखें छोटी से छोटी चीज़को भी देखने की क्षमता रखती हैं। इससे ये भी संदेश मिलता है कि हर चीज का गहराई से अध्ययन करना चाहिए। ऐसा करने से जीवन में सही फैसला लिया जा सकता है।
बड़े-बड़े कान
गणेश जी के कान काफी बड़े हैं। जिनका अर्थ है कि आपको सभी की बातों को ध्यान से सुनना चाहिए, कान का कच्चा नहीं, सच्चा होना चाहिए। कान से सबकी बातों को सुनें लेकिन अपने अंदर केवल सत्य को ही समाहित करें।
2 दांत
गणेश जी के दो दांत हैं एक अखंड व दूसरा खंडित। अखंड दांत श्रद्धा का प्रतीक है यानि श्रद्धा सदैव अखंड रहनी चाहिए जबकि उनका खंडित दांत बुद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसका मतलब ये हुआ कि एक बार बुद्धि भले ही भ्रमित हो जाए लेकिन श्रद्धा कभी नहीं डगमगानी चाहिए। और हमें अपने मन में श्रद्धा का भाव सदैव रखना चाहिए।