छत्तीसगढ़बिलासपुर

हाईकोर्ट का आदेश भी नहीं मानते अफसर,मिली भगत से जारी है खेल, शिकायत पर भी कार्रवाई नहीं…


बिलासपुर में अवैध उत्खनन के चलते जिले की जीवन रेखा अरपा नदी की अस्मिता तार-तार होती जा रही है। माइनिंग अफसरों की मिलीभगत से रेत माफिया शहर से लेकर गांव तक मनमाने रेत उत्खनन कर रहे हैं। जबकि, हाईकोर्ट ने शहर व आसपास रेत उत्खनन करने पर बैन लगा दिया है। इसके बाद भी खनिज अफसर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।अरपा में रेत उत्खनन करने के कारण शहर का जल स्तर तेजी से गिर रहा है। इससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। इसे लेकर अरपा अपर्ण महाभियान समिति ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका भी दायर की है। इस याचिका पर कोर्ट ने कलेक्टर को अरपा नदी में अवैध उत्खनन रोकने का आदेश दिया है। दरअसल, रेत उत्खनन के चलते जल स्तर बनाए रखने वाला नदी का स्पंजी सिस्टम समाप्त हो रहा है। नदी से रेत गायब और मिट्टी के टीले, बंजर जमीन नजर आने लगी है।अरपा नदी में रेत उत्खनन कर ट्रैक्टरों में इस तरह से हो रहा परिवहन।यहां हो रहे अवैध उत्खननतुर्काडीह कोनी से लेकर लोधीपारा, दयालबंद, शनिचरी, दोमुंहानी, बूटापारा, सेंदरी, और नीरतू लमेर तक में सर्वाधिक उत्खनन हो रहा है। लेकिन माइनिंग विभाग के अफसरों को इसकी भनक तक नहीं है। या फिर उनकी सह पर पूरा खेल चल रहा है। रविवार की सुबह कोनी तुर्काडीह पुल के पास रेत उत्खनन कर ट्रैक्टरों में भरा जा रहा था। इसकी सूचना खनिज विभाग और कोनी पुलिस को भी दी लेकिन यहां एक भी अफसर देखने नहीं पहुंचे।एक समय पर 15-15 ट्रैक्टर में परिवहनशहर से लगे नदी किनारों पर रेत के खनन या परिवहन पर प्रतिबंध है। इसके बावजूद बिना रोक टोक के अवैध खनन कर परिवहन किया जा रहा है। रविवार को एक समय में 15 ट्रैक्टर ट्रालियों में रेत की लोडिंग हो रही थी।अवैध उत्खनन के चलते हादसे की आशंकालोधीपारा के रहने वालों ने बताया कि खनिज विभाग के अफसरों के साथ ही पुलिस को अवैध उत्खनन की हमेशा शिकायत की जाती है। इसके साथ ही शहर के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों के जनप्रतिनिधि भी लगातार शिकायत करते हैं। लेकिन, विभाग के अधिकारी दिखाने के लिए एक-दो प्रकरण बनाकर जब्ती की खानापूर्ति कर लेते हैं।

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