जिले में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे : कलेक्टर
प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना अंतर्गत गरियाबंद जिला का चयन
गरियाबंद – प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना-पी.एम.एफ.एम.ई अंतर्गत गरियाबंद जिले का चयन किया गया है। भारत सरकार की ओर से राज्य के एकमात्र गरियाबंद जिला में लघु वनोपजों के उत्पादन और संग्रहण को देखते हुए चयन किया गया है। आज वन विभाग के ऑक्सन हॉल में इस संबंध में कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें योजना की आधारभूत जानकारी व लघु वनोपज के उत्पादन, प्रसंस्करण व मूल्य संवर्धन के संबंध में पावर पाइंट प्रस्तुतीकरण किया गया।
कार्यशाला में कलेक्टर निलेश क्षीरसागर ने बतौर मुख्य अतिथि कहा कि जिले के लिए यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। जिले में लघु वनोपजों के संग्रहण और गुणवत्ता को देखते हुए इस जिले का चयन किया गया है। उन्होंने कहा कि यहा मिनी फूड पार्क और प्रसंस्करण केन्द्र खोलने की तैयारी है। उन्होंने कहा कि जिले में लाख, चिरौंजी, सरई बीज का बहुतायत मात्रा में उत्पादन होता है। यहां के सरई बीजों का विदेशों में भरपूर मांग है। यदि स्थानीय स्तर पर प्रोसेसिंग यूनिट लगाकर इसका वेल्यु एडीशन किया जाए तो बेहतर दाम मिल सकता है। योजना अंतर्गत रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। वन मंडलाधिकारी मयंक अग्रवाल ने बताया कि पिछले वर्ष 26 हजार क्विंटल लघु वनोपजों का संग्रहण किया गया है, जो कि एक उपलब्धि है। इससे संग्राहकों को 15 करोड़ रुपए का लाभ हुआ है। उन्होंने बताया कि संग्रहण के पश्चात वनधन केन्द्रों में प्रसंस्करण का सिस्टम बनाया गया है। जिले में संजीवनी केन्द्रों के माध्यम से इसका विक्रय किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष लगभग 3 हजार क्विंटल चिरौंजी का संग्रहण किया गया है।
जिला पंचायत सीईओ संदीप अग्रवाल ने कहा कि जिले के विकास में उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उद्योग से ही रोजागार के अवसर बढ़ते है। उन्होंने बताया कि बिहान अंतर्गत जिले में 8 हजार 500 समूह गठित किये गये है, जो अलग-अलग गतिविधियों के माध्यम से आय अर्जित कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस योजना के तहत 241 महिला सदस्यों का चयन किया गया है। जिनके लिए 60 लाख रुपये उद्योग विभाग की ओर से जारी किये जाएंगे। अधिकारियों की ओर से इस अवसर पर लगाये गए लघु वनोपजों के उत्पादों के स्टॉल का अवलोकन किया गया।
ज्ञात है कि इस योजना के तहत व्यक्तिगत निवेशक को परियोजना लागत का 35 प्रतिशत की दर से अधिकतम 10 लाख रुपए पूंजीगत अनुदान मिलेगा। स्वयं सहायता समूहों के प्रति सदस्यों को अधिकतम 40 हजार रुपये की पूंजी प्रदान की जायेगी। इसके अलावा किसान उत्पादक संगठन को 35 प्रतिशत की दर से पूंजी अनुदान दिये जाएंगे। इसके लिए जिला पंचायत कार्यालय व जिला व्यापार और उद्योग केन्द्र से संपर्क किया जा सकता है। कार्यशाला में अनुविभागीय अधिकारी विश्वदीप, सीएसआईडीसी के प्रबंध संचालक अनिल श्रीवास्तव, उप संचालक सुरेश केसी, एसआरएलएम के मनोज मिश्रा, महाप्रबंधक एस.के. सिंह, नीरज मिश्रा वैज्ञानिक आईजीकेवी, सीएसआईडीसी के सदस्य व महिला समूह के सदस्य मौजूद थे।