रायगढ़। बरमकेला अंचल ओडिशा सीमा से लगा हुआ है, अतः यहाँ की अधिकांश संस्कृति, पर्व एवं त्यौहार ओडिशी संस्कृति से प्रभावित है। यहाँ देवउठनी एकादशी के दिन से घर, आंगन एवं देहरी में झूठी लिखने की परंपरा है एवं माता लक्ष्मीजी का विशेष श्रृंगार करके विधी- विधान से पूजा अर्चना करते हैं।
इस परंपरा का निर्वहन अगहन महीने के प्रत्येक गुरुवार को भी किया जाता है और घर में तोरन बांधकर घूप, दीप, बेर पत्ता, दूब घास, कंद-मूल, फल-फूल व विभिन्न घरेलू पकवानों के साथ विशेष भोग प्रसाद चढ़ाकर पूजा- आराधना की जाती है एवं परिवार, समाज व देश के सुख, शांति, संमृद्धि और मंगल की कामना की जाती है। वहीं इस दौरान मंदिर में व्रती महिलाएं एकत्रित होकर माता लक्ष्मीजी के पौराणिक कथा लक्ष्मी पुराण का श्रवण करती हैं।