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डेंगू से बचाव के लिये बरते एहतियात डेंगू बीमारी के  रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग एवं नगर निगम का संयुक्त प्रयास जारी

डेंगू से बचाव के लिये बरते एहतियात
डेंगू बीमारी के रोकथाम के लिए स्वास्थ्य विभाग एवं नगर निगम का संयुक्त प्रयास जारी

रायगढ़-स्वास्थ्य विभाग व नगरनिगम के संयुक्त प्रयास के द्वारा शहरी क्षेत्र में डेंगू बीमारी की रोकथाम हेतु टीम गठित कर सतत् निगरानी की जा रही है। ज्ञात हो की विगत 2 माह में 4 डेंगू मरीजों की पुष्टि की गई हैं। जिनमे से 2 मरीज शहर के दरोगा पारा,1 कृष्णा बिहार व 1 लेबर कॉलोनी जूटमिल में पाया गया। प्राथमिक जाँच से पता चला है, कि सभी मरीजों की माइग्रेशन हिस्ट्री है।विभाग द्वारा निरंतर प्रतिबंधात्मक उपाय किये जा रहे हैं। नगर निगम का सहयोग प्रभावित जगहों पर लार्वा सर्वे, कीटनाशक का छिड़काव व फॉगिंग करने में सहयोग लिया जा रहा है।
कलेक्टर श्री भीम सिंह के निर्देशानुसार रायगढ़ में 129 टीम गठित कर शहर में घर घर जा कर बुखार की खोज के साथ साथ लार्वा बिनिस्टिकरण का कार्य सम्पादित किया जा रहा है। जिसमे मितानिन, ऑंगनबाड़़ी कार्यकर्ता तथा सफाई सुपरवाइजर की भूमिका अहम है।

डेंगू का मच्छर कैसा होता है- डेंगू जिस मच्छर के काटने से इंसानों में फैलता है। वह मादा एडीज मच्छर है। मच्छर दिखने में सामान्य मच्छरों से कुछ अलग होते है। इसके शरीर पर सफेद धारियां बनी होती है। यह मच्छर अक्सर दिन में काटते है। हमें इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि सुबह और दिन के वक्त हमें मच्छर ना काटे। अगर किसी को डेंगू होता है तो उसका मतलब उसके आसपास ही मच्छर पनप रहा है। अपने घर की चेकिंग के बाद सुनिश्चित कर लें कि पड़ोसियों ने भी चेकिंग कर ली है। सप्ताह में रविवार के दिन पानी के टैंक, बाल्टी, टायर आदि मच्छरों के प्रजनन स्थलों का निरीक्षण करके उसका उन्मूलन किया जाए। डेंगू का मच्छर सिर्फ साफ पानी में होता है। साफ पानी कुछ दिन के लिए जमा हो जाए और उसे बदला न जाए तो साफ पानी में डेंगू के लार्वा पैदा होते हैं। 8-10 दिन में वो मच्छर में बदल जाते हैं। पानी बदलने से मच्छर नहीं पनपेंगे। आम जनों से अपील हे की वे घर के साथ गमले में, कूलर में, हर छोटी से छोटी जगह यह चेक करना होगा कि साफ पानी जमा न हो।
डेंगू बुखार के लक्षण क्या है-ं
मरीज को मच्छर के काटने के 3.5 दिन बाद ही लक्षण दिखाई देने शुरू होते है। अचानक तेज बुखार आना, सिर में आगे की ओर तेज दर्द होना, आंखों में दर्द होना, बदन और जोड़ो में तेज दर्द, स्वाद का पता न चलना और भूख का ना लगना, छाती और ऊपरी अंगो पर खसरे जैसे दानें होना, व्यक्ति को चक्कर आना, कभी-कभी घबराना और उल्टी आना गंभीर अवस्था में मसूड़ों से व मलद्वार से रक्त का स्राव होता है।

डेंगू से बचने के उपाय- डेंगू से बचने के लिए सबसे जरूरी है कि आप अपने आप को मच्छरों से बचाए जिससे यह वायरस इंसानी शरीर में आता है।

. बारिश के मौसम में या ऐसे क्षेत्रों में जहां मच्छर हों वहां मच्छरों से बचने का आपकों हर संभव प्रयास करना चाहिए।

ऐसी जगह जहां डेंगू फैल रहा है, वहां पानी को जमा ना होने दें, कूलर के पानी को हर दो तीन दिन में जरूर बदलें।

डेंगू फैलाने वाले मच्छर 500 मीटर से ज्यादा उड़ नहीं सकते। इसलिए अगर आप अपने आसपास के वातावरण को साफ सुथरा रखें तो इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आने की आशंका कम हो जाती है। आप जिस जगह पर रहते है वहां अगर ज्यादा है तो मास्कीटो रिपेलेंट का यूज करें। अपने घर,बच्चों के स्कूल और आफि स की साफ सफाई का भी खास ख्याल रखें। डेंगू संदेहियों की जांच रैपिड डायग्नोस्टिक किट की जगह एलिसा टेस्ट कराने के निर्देश दिए गए हैं। रैपिड डायग्नोस्टिक किट में अधिकांश फाल्स रिपोर्ट आते हैं। इसलिए डेंगू के संदेह पर एलिसा टेस्ट कराना जरूरी है।

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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