लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ ने वेतन विसंगतियों को दूर करने सौंपा ज्ञापन
सारंगढ़- कुछ दिनों पूर्व अनुविभाग सारंगढ के तहसील सारंगढ व बरमकेला दोनों ही के छत्तीसगढ़ लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों एवं सदस्यों की बैठक सारंगढ में सम्पन्न हुयी थी जिसमें छतीसगढ लिपिक वर्गीय कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष मनोज पाण्डेय तहसील अध्यक्ष राजेश गुप्ता व बरमकेला के अध्यक्ष निषाद सहित अन्य कई पदाधिकारीगण शामिल हुए थे जिसमें विगत लगभग 36 वर्ष से अब तक लिपिकों के वेतन में विसंगतियों पर विस्तार से चर्चा किया गया था।
जिसमें आज के ही दिन मुख्यमंत्री व प्रमुख सचिव के नाम जिले के समस्त तहसीलदार को ज्ञापन सौंपने का निर्णय लिया गया था।
इसी तारतम्य में आज दोपहर स्थानीय तहसील कार्यालय में तहसील सारंगढ के अध्यक्ष राजेश गुप्ता के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपा गया है जिसमें पूर्व में 1961 में ताराचंद वेतनमान व 1973 में पाण्डेय वेतनमान को शिक्षकों के वेतनमान को लिपिकों के वेतनमान के समकक्ष रखा गया था परन्तु सन 1981 में गठित चौधरी वेतनमान से अब तक की कमेटियों द्वारा लिपिकों के वेतनमान को शिक्षकों पटवारियों से अत्यंत ही कमी होती जा रही है ।
जबकि हर शासकीय कार्यालयों में लिपिकों का कार्य अति महत्वपूर्ण व संवेदनशील भी होता है जिसमें विभाग प्रमुख के दिशा निर्देशों का पालन कर कार्य तो किया ही जाता है साथ ही साथ सम्बंधित कार्यालयों के रिकार्ड दुरूस्ती व संधारण की भी व्यवस्था के साथ ही साथ जनगणना व संविधान के नियमों के अनुसार कार्य करने के लिए उसका पूर्ण ज्ञान होना भी आवश्यक होता है वहीं दूसरी ओर आम नागरिकों सहित छात्र छात्राओं को भी उनके कार्य के प्रति संतुष्ट करने की जवाबदारी भी होती है ऐसे में शुरुआत में आबकारी उपनिरीक्षकों व शिक्षकों के वेतनमान के समकक्ष वेतनमान रखे जाने के बाद आज की स्थिति में इतने जवाबदार व संविधान के नियमों से पूर्ण परिचित होने के बाद भी लिपिकों का वेतन अत्यंत ही कम है जबकि डाटा एंट्री आपरेटरों जिनकी योग्यता लगभग एक तृतीय वर्ग लिपिक के लगभग समकक्ष ही होती है परन्तु वेतनमान में काफी अन्तर कर लिपिकों को अति कम वेतन दिया जाता है।
जिससे लिपिकों में काफी हद तक कुण्ठा व्याप्त है जिसे दूर करने का निवेदन आज के सौपे गए ज्ञापन में किया गया है ।