एम्स प्रशासन के मुताबिक, सोमवार सुबह 9 बजे से यह ट्रायल शुरू होगा। आठ सप्ताह में इसको पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। ट्रायल के लिए पहले बच्चों की स्क्रीनिंग होगी, उन्हें पूरी तरीके से स्वस्थ पाए जाने के बाद ही टीका लगाया जाएगा।
दिल्ली के एम्स में आज से बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो रहा है। इसमें 2 से 18 साल के बच्चों को शामिल किया जाएगा। पहले चरण में कुल 17 बच्चों पर ट्रायल होगा। ट्रायस सफल होने पर बच्चों में टीकाकरण की शुरुआत की जाएगी।
एम्स प्रशासन के मुताबिक, सोमवार सुबह 9 बजे से यह ट्रायल शुरू होगा। आठ सप्ताह में इसको पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। ट्रायल के लिए पहले बच्चों की स्क्रीनिंग होगी, उन्हें पूरी तरीके से स्वस्थ पाए जाने के बाद ही टीका लगाया जाएगा। ट्रायल के कई चरण में होंगे। पहले चरण में 17 बच्चों को शामिल किया जाएगा।
बच्चों को भारत बायोटेक और आईसीएमआर की कोवाक्सिन की खुराक दी जाएगी। इससे पहले पटना के एम्स में भी वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। वहां 3 जून को तीन बच्चों को वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई थी। विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के लिए अधिक खतरनाक बताया है। ऐसे में बच्चों का टीका उन्हें संक्रमण से बचाने में काफी मददगार हो सकता है।
आपको बता दें कि भारत बायोटेक को दवा नियामक डीसीजीआई से 11 मई को बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी मिली थी। इसके बाद बीते हफ्ते एम्स पटना ने 2 से 18 साल की उम्र के बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल शुरू किया था।
डीसीजीआई ने बच्चों पर कोवैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल के लिए मंजूरी दी है। कई अन्य संस्थानों के साथ एम्स-दिल्ली को भी ट्रायल साइट के लिए चुना गया है। अन्य संस्थानों में एम्स-पटना और नागपुर स्थित मेडिट्रिना इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस शामिल हैं।
हाल में नीति आयोग के सदस्य (हेल्थ) वीके पॉल ने कहा था कि कोवैक्सीन को डीसीजीआई ने मंजूरी दी है। उसे 2 से 18 साल के आयु वर्ग के लिए क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दी गई है।
विस्तार
दिल्ली के एम्स में आज से बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल शुरू हो रहा है। इसमें 2 से 18 साल के बच्चों को शामिल किया जाएगा। पहले चरण में कुल 17 बच्चों पर ट्रायल होगा। ट्रायस सफल होने पर बच्चों में टीकाकरण की शुरुआत की जाएगी।
एम्स प्रशासन के मुताबिक, सोमवार सुबह 9 बजे से यह ट्रायल शुरू होगा। आठ सप्ताह में इसको पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। ट्रायल के लिए पहले बच्चों की स्क्रीनिंग होगी, उन्हें पूरी तरीके से स्वस्थ पाए जाने के बाद ही टीका लगाया जाएगा। ट्रायल के कई चरण में होंगे। पहले चरण में 17 बच्चों को शामिल किया जाएगा।
बच्चों को भारत बायोटेक और आईसीएमआर की कोवाक्सिन की खुराक दी जाएगी। इससे पहले पटना के एम्स में भी वैक्सीन का ट्रायल चल रहा है। वहां 3 जून को तीन बच्चों को वैक्सीन की पहली डोज लगाई गई थी। विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के लिए अधिक खतरनाक बताया है। ऐसे में बच्चों का टीका उन्हें संक्रमण से बचाने में काफी मददगार हो सकता है।
आपको बता दें कि भारत बायोटेक को दवा नियामक डीसीजीआई से 11 मई को बच्चों पर क्लीनिकल ट्रायल की मंजूरी मिली थी। इसके बाद बीते हफ्ते एम्स पटना ने 2 से 18 साल की उम्र के बच्चों पर कोवैक्सीन का ट्रायल शुरू किया था।
डीसीजीआई ने बच्चों पर कोवैक्सीन के दूसरे और तीसरे चरण के ट्रायल के लिए मंजूरी दी है। कई अन्य संस्थानों के साथ एम्स-दिल्ली को भी ट्रायल साइट के लिए चुना गया है। अन्य संस्थानों में एम्स-पटना और नागपुर स्थित मेडिट्रिना इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस शामिल हैं।
हाल में नीति आयोग के सदस्य (हेल्थ) वीके पॉल ने कहा था कि कोवैक्सीन को डीसीजीआई ने मंजूरी दी है। उसे 2 से 18 साल के आयु वर्ग के लिए क्लीनिकल ट्रायल की अनुमति दी गई है।