सेवा भाव नहीं… धन अर्जित करने का जरिया बन गया राजनीति
सेवा भाव नहीं… धन अर्जित करने का जरिया बन गया राजनीति
पहले सेवा भाव से लोग राजनीति करते थे। लेकिन अब राजनीति में सेवा भाव नहीं रह गया है। यह धन अर्जित करने का जरिया बन गया है। यही वजह है कि चुनाव में कालाधन खपाया जाता है। राजनीति को भ्रष्ट व्यक्ति ने व्यवसाय बना लिया है। इससे भ्रष्टाचार बढऩे के साथ ही समाज का कल्याण नहीं हो सकता है। विकास का मुद्दा गौण हो गया है। जात-पात की राजनीति करने वाले छुट भईए राजनीति का क ख ग घ नही आता … अपराध जगत से नजदीकी नाता जिनका… मकसद सिर्फ कुर्सी हासिल करना है। उनका विकास और जनकल्याण से कोई लेना-देना नहीं है।
नाम न लिखने के शर्त पर राजनैतिक पण्डित कहते हैं कि आजादी के बाद के कुछ नेताओं में सेवा भावना था। समाज कल्याण के बारे में सोचते थे। लेकिन अब अधिकांश लोग पैसे कमाने राजनीति करते हैं। सेवा भावना नहीं बल्कि राजनीति धन अर्जित करने का जरिया बन गया है। राजनीति को व्यवसाय बना दिया है। जिन तथाकथित नेता के पास पैसा नहीं था आज वैसे तथाकथित नेता चार-पांच सालों में करोड़पति बन गए हैं। भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है। चुनाव कालाधन खपाने का जरिया बन गया है। जात-पात की राजनीति करने वाले तथाकथित नेता का मकसद सिर्फ कुर्सी पर आसीन होने की सोचते हैं। ऐसे नेताओं का समाज कल्याण से कोई लेनादेना नहीं होने के कारण विकास का मुद्दा गौण हो गया है। जो नेता राष्ट्र हित में काम करना चाहते हैं, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा में काम करना चाहते हैं, उन्हें भी काम नहीं करने देते हैं। निंदा करते समय क्षेत्र,राष्ट्रहित को भी ध्यान में नहीं रखते हैं। आज अधिकांश ऐसे भ्रष्ट व्यवसाई व्यक्ति के कारण ईमानदार नेताओ पर उंगली उठाने लगें है लोग…युवा आगे बढे और भ्रष्ट तथाकथित नेता को इस बार के चुनाव में …