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नारी शक्ति दिवस विशेष: ऑटो कंपनियों को पसंद आ रही है महिलाओं की कारीगरी, असेंबली लाइन पर पुरुषों को दे रही हैं टक्कर

पूरी दुनिया आज विश्व महिला दिवस मना रही है। देश का ऑटोसेक्टर भी महिलाओं की भागीदारी को लेकर पूरी तरह से सक्रिय है। ऑटो कंपनियों के शोरूम्स से लेकर कारखानों में महिलाओॆं की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है। हाल ही में एमजी मोटर के ऑल वूमन क्रू के 50,000वीं हेक्टर के निर्माण के फोटो जारी की थी। लेकिन एमजी मोटर अकेली कंपनी नहीं है, बल्कि स्वारज ट्रैक्टर्स, टाटा मोटर्स, महिंद्रा और टोयोटा जैसी कंपनियां भी अपनी असेंबली लाइन में महिलाओं की प्रतिभा की कायल हैं।

50,000वीं एमजी हेक्टर को केवल महिलाओं क्रू ने ही तैयार किया था, जिसे गुजरात स्थित हलोल प्लांट में तैयार किया गया था। इस खास हेक्टर की पैनल प्रेसिंग से लेकर वेल्डिंग और पेंट जैसे काम भी इस क्रू के सदस्यों ने तैयार किए थे। एमजी मोटर के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव चाबा का कहना है कि असेंबली लाइन से अब पुरुषों का वर्चस्व खत्म हो रहा है। उन्होंने भरोसा जताया कि इससे बाकी महिलाओं को भी ऑटोमोटिव सेक्टर में जाने की प्रेरणा मिलेगी।।

एमजी मोटर में असेंबली पर 380 महिलाएं
वहीं एमजी हेक्टर के अलावा महिलाएं न केवल कारें बना रही हैं, बल्कि ट्रैक्टर, ट्रक और जरूरी उपकरण बनाने में भी अपनी भूमिका निभा रही हैं। टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, एमजी मोटर, डेम्लर इंडिया, मदरसन ग्रुप और टोयोटा जैसी कंपनियां भी लैंगिक विविधता को बढ़ावा दे रही हैं। एमजी मोटर में शॉपफ्लोर पर लगभग 380 महिलाएं हैं, जो शॉपफ्लोर पर मौजूद कुल कर्मियों का 33 फीसदी हैं और कंपनी इसे बढ़ा कर 50 फीसदी तक पहुंचाना चाहती है।

बना रही हैं ट्रैक्टर और ट्रक
महिंद्रा एंड महिंद्रा की ट्रैक्टर डिवीजन स्वराज ट्रैक्टर्स के शॉपफ्लोर पर 72 महिलाएं काम कर रही हैं और उनकी कुल क्षमता का चार फीसदी है। वहीं ये महिलाएं न केवल ट्रैक्टर के जरूरी उपकरणों और कलपुर्जों की असेंबली कर रही हैं, साथ ही मशीनिंग, पेंटिंग, इनवेंटरी मैनेजमेंट, हीट ट्रीटमेंट, टूल रूम और प्रोडक्ट क्वॉलिटी जैसे अहम कामों में भी पूरी तरह से सक्रिय हैं।

कमर्शियल वाहन बनाने वाली प्रमुख ऑटोमोटिव कंपनी डेम्लर इंडिया की बात करें, तो उसकी चेन्नई स्थित ओरेगदाम फैक्टरी में 46 महिलाएं कार्यरत हैं। इन महिला कर्मियों को कंपनी ने इंजन, ट्रांसमिशन और क्वॉलिटी मैनेजमेंट जैसे अहम कार्यों में लगाया हुआ है। जबकि टाटा मोटर्स के शॉपफ्लोर पर महिलाएं बेहद शिद्दत के साथ पेंट शॉप, फाइनल असेंबली लाइन, सुपरविजन, क्वॉलिटी, इंस्पेक्शन, और मेंटेनेंस जैसे कामों में अपने अनुभवों का बखूबी इस्तेमाल कर रही हैं।

टाटा मोटर्स में 2016-17 के बाद महिलाओं की हिस्सेदारी आश्चर्यजनक तरीके से बढ़ी है। टाटा मोटर्स के सभी प्लांट्स के शॉपफ्लोर पर लगभग 1800 महिलाएं कार्यरत हैं। कंपनी के जमशेदपुर स्थित प्राइमा ट्रक असेंबली लाइन के इलेक्ट्रिक कंपोनेंट्स के फिटिंग और टेस्टिंग सेक्शन पर केवल महिलाएं ही कार्यरत हैं। टाटा मोटर्स के पुणे स्थित शॉपफ्लोर पर लगभग 650 महिला कर्मचारी हैं।

टोयोटा बना रही है टेलेंट पूल
टोयोटा किर्लोस्कर के कंपनी प्रवक्ता के मुताबिक उनकी जनरल शिफ्ट में प्रोडक्शन सपोर्ट और इंजीनियरिंग विभाग में केवल महिला कर्मचारी हैं। टोयोटा पायलेट बैच के जरिए गर्ल्स स्टूडेंट्स का एक टेलेंट पूल तैयार कर रही है, जिन्हें टोयोटा टेक्निकल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में विभिन्न वोकेशनल कोर्सेज जैसे ऑटोमोटिव फिटर और असेंबली ट्रेड में ट्रेनिंग दी जा रही है। पिछले साल से टोयोटा ने इंस्टीट्यूट में आठ फीसदी सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी हैं।

बारीक नजर बेहद कारगर
विशेषज्ञों का कहना है कि महिलाएं बेहद सुक्ष्मता के साथ काम करती हैं। जिससे प्रोडक्शन के दौरान गलती की गुंजाइश कम हो जाती है। क्वॉलिटी संबंधित क्षेत्रों जैसे पेंट शॉप में महिलाओं की निपुणता है, क्योंकि वे बेहद बारीकी से काम करती हैं।

एमजी मोटर के मैनेजिंग डायरेक्टर राजीव चाबा बताते हैं कि शुरुआत में जब वे शॉपफ्लोर के लिए प्लांट के नजदीकी गांवों में महिलाओं को भर्ती करने के लिए जाते थे, तो लोग बढ़े संशय में रहते थे। लेकिन ट्रेनिंग देने के बाद उनकी कार्यक्षमता पुरुष साथियों के समकक्ष हो जाती थी और कई मामलों में तो वे उनसे आगे निकल जाती थीं। उनके आने के बाद शॉपफ्लोर पर अनुशासन भी कायम हुआ क्योंकि महिलाएं न केवल समय की पाबंद होती हैं बल्कि वे नियमों का भी अच्छे से पालन करती हैं। इसके अलावा वे क्वॉलिटी पर भी फोकस रहती हैं और किसी भी गड़बड़ी के लिए सचेत रहती हैं। वहीं एमजी मोटर ने महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए खास WOMENTORSHIP प्रोग्राम भी शुरू किया है।

कंपनियां दे रही हैं कई फायदे
वहीं महिलाओं की परेशानियों को समझते हुए ऑटो कंपनियों ने उनके लिए कई फायदे देना भी शुरू कर दिया है। वे केवल उनके बच्चों के लिए क्रेच खोल रही हैं, बल्कि मुफ्त भोजन, यूनिफॉर्म, मेडिकल केयर और परिवहन साधन की भी उपलब्धता करवा रही हैं। कंपनियां एक फ्रेशर महिला अभ्यर्थी को 15 से 16 हजार रुपये तक की सेलरी ऑफर कर रही हैं, वहीं शॉपफ्लोर पर उन्हें पुरुषों  के समकक्ष ही तनख्वाह दी जा रही है। वहीं मारुति सुजुकी और ह्यूंदै फिलहाल अपने शॉपफ्लोर के लिए महिलाओं को हायर नहीं कर रही हैं, क्योंकि उनका कहना है कि शिफ्ट बेहद और जल्दी और देर तक खत्म होती हैं, जो महिलाओं के लिए उपयुक्त नहीं हैं। लेकिन बाकी विभागों में महिलाएं पूरी क्षमता के साथ अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी संभाल रही हैं।

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