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अन्नदाता हैं अहंकार तुम्हारा चूर कर जाएंगे’, कांग्रेस का बीजेपी पर शायराना अंदाज में हमला

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों (Farm Laws) के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन (Farmers Protest) का शनिवार को 100वां दिन है. किसान पिछले साल नवंबर से लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और उनके समर्थन में विपक्षी पार्टी कांग्रेस (Congress) केंद्र सरकार पर हमलावर है. उन्होंने किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का अहंकार बताया है और शायराना अंदाज में कहा है कि उसका यह अहंकार अन्नदाता चूर करके जाएंगे.

कांग्रेस ने शनिवार को ट्वीट करते हुए लिखा, ‘अहंकार में चूर हो, क्यों इतने मगरूर हो. सामने किसान है, हथेली पर उनकी जान है. तुम क्या चाहते हो, वो हथकंडों से डर जाएंगे. अन्नदाता हैं, अहंकार तुम्हारा चूर कर जाएंगे.’ ट्वीट के साथ कांग्रेस ने एक वीडियो भी जारी किया है. वहीं एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘देश का अन्नदाता पिछले 100 दिन से दिल्ली की सरहदों पर संघर्षरत है. लेकिन गूंगी-बहरी तानाशाही हुकूमत अन्नदाता की आवाज को सुनने को तैयार नहीं है. सरकार का यह तानाशाही रवैया याद रखा जाएगा.’

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा, ‘देश की सीमा पर जान बिछाते हैं जिनके बेटे, उनके लिए कीलें बिछाई हैं दिल्ली की सीमा पर. अन्नदाता मांगे अधिकार, सरकार करे अत्याचार!’ बीते करीब तीन महीनों से दिल्ली की तीन सीमाओं सिंघु, टीकरी और गाजीपुर में बड़ी संख्या में देश के विभिन्न हिस्सों से आए किसान डटे हुए हैं. इन किसानों में मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान शामिल हैं.

किसानों का दावा, खत्म नहीं हो रहा आंदोलन

किसान नेताओं ने कहा कि उनका आंदोलन खत्म नहीं होने जा रहा और वे “मजबूती से बढ़” रहे हैं. इस लंबे आंदोलन ने एकता का संदेश दिया है और “एक बार फिर किसानों को सामने लेकर आया” है और देश के सियासी परिदृश्य में उनकी वापसी हुई है. भारतीय किसान यूनियन (BKU) के राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक जरूरत होगी वे प्रदर्शन जारी रखने के लिए तैयार हैं. जब तक सरकार हमें सुनती नहीं, हमारी मांगों को पूरा नहीं करती, हम यहां से नहीं हटेंगे.

सरकार और किसान बातचीत के बावजूद समझौते पर नहीं पहुंचे

सरकार और किसान संघों के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद दोनों पक्ष किसी समझौते पर अब तक नहीं पहुंच पाए हैं और किसानों ने तीनों कानूनों के निरस्त होने तक पीछे हटने से इनकार किया है. सितंबर में बने इन तीनों कृषि कानूनों को केंद्र कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश कर रहा है जिससे बिचौलिये खत्म होंगे और किसान देश में कहीं भी अपनी उपज बेच सकेंगे. दूसरी तरफ प्रदर्शनकारी किसानों ने आशंका जाहिर की है कि नए कानूनों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की सुरक्षा और मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी जिससे वे बड़े कॉरपोरेट की दया पर निर्भर हो जाएंगे.

MSP की कानूनी गारंटी पर अटकी है बात

किसानों की चार में से दो मांगों- बिजली के दामों में बढ़ोतरी वापसी और पराली जलाने पर जुर्माना खत्म करने- पर जनवरी में सहमति बन गई थी लेकिन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने और एमएसपी की कानूनी गारंटी को लेकर बात अब भी अटकी हुई है. किसान नेताओं के मुताबिक, हालांकि शनिवार को 100 दिन पूरा कर रहे इस आंदोलन ने तात्कालिक प्रदर्शन से कहीं ज्यादा अर्जित किया है. उनका कहना है कि इसने देश भर के किसानों में एकजुटता की भावना जगाई है और खेती में महिलाओं के योगदान को मान्यता दिलाई है.

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