महाकुंभ 2025: सनातन संस्कृति की दिव्यता में खरसिया क्षेत्र के श्रद्धालु…

प्रयागराज महाकुंभ: युगों तक गूंजती रहेगी कुंभ गाथा
खरसिया। महाकुंभ 2025 की आध्यात्मिक गूंज समूचे भारत में सुनाई दे रही है। आस्था, परंपरा और भक्ति का यह विराट संगम जहां करोड़ों श्रद्धालुओं को मोक्ष की अनुभूति करा रहा है, वहीं लोकथाओं में इसकी महिमा युगों तक संजोई जाएगी।
बाप-दादा अपनी आने वाली पीढ़ियों को इस अलौकिक आयोजन के अनुभव सुनाएंगे—कुछ खट्टे, कुछ मीठे। संत-महात्माओं की वाणी, आचार्यों के प्रवचन और स्नान की पुण्य लहरें, यह सब भविष्य की संतति के लिए प्रेरणा बनेंगी।

महाकुंभ के कालखंड में कई नायक उभरेंगे
संतों की वाणी में धर्म का आलोक होगा, कल्पवासियों की तपस्या में आस्था की गहराई होगी और जनसैलाब के समर्पण में सनातन संस्कृति की झलक मिलेगी।

महाकुंभ 2025 में आस्था की डुबकी लगाने के लिए खरसिया क्षेत्र से श्रद्धालुओं का एक विशेष दल त्रिवेणी संगम पहुंचा। शैलेश पाण्डेय,लेखु सोनी सीए,पदुमन पटेल, कृष्ण कुमार पटेल, अजय महन्त,राजेश डनसेना, प्रताप पटेल, राहुल पटेल, विकास जयसवाल अन्य श्रद्धालुओं ने इस पावन अवसर पर स्नान कर पुण्य लाभ अर्जित किया।

त्रिवेणी संगम की पावन धारा में डुबकी लगाकर सभी ने मन की शुद्धि और आत्मा की तृप्ति का अनुभव किया। सनातन संस्कृति की दिव्यता को साक्षात अनुभव करते हुए श्रद्धालुओं ने गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में आस्था का भावपूर्ण संगम किया।
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श्रद्धालुओं ने बताया कि महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति,आध्यात्मिकता और परंपराओं का भव्य संगम है।
यहाँ पहुंचकर हर भक्त को एक नई ऊर्जा और आध्यात्मिक शांति की अनुभूति होती है।

महाकुंभ 2025 में उमड़ती भक्तों की भीड़ और संतों-महात्माओं के प्रवचनों से प्रयागराज का माहौल भक्तिमय बना हुआ है।

श्रद्धालुओं ने कामना की कि यह दिव्यता और शांति सभी के जीवन में सुख-समृद्धि लाए।
संगम की पावन धारा के साथ यह कुंभ गाथा भी अनवरत प्रवाहित होती रहेगी, जो आने वाले युगों में श्रद्धा और परंपरा का मार्ग प्रशस्त करेगी।





