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अब 2022 में चंद्रयान-3 का होगा प्रक्षेपण, पुराने ऑर्बिटर का किया जाएगा इस्तेमाल

इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा, कोरोना महामारी के चलते कई परियोजनाओं के समय पर शुरुआत में हुई देरी।
250 करोड़ रुपये इस मिशन की आएगी लागत।
चंद्रयान -2 का प्रक्षेपण 22 जुलाई 2019 को हुआ था।
चंद्रयान -1 का 22 अक्तूबर 2008 को हुआ था सफल प्रक्षेपण।

देश का तीसरा और महत्वाकांक्षी चंद्र मिशन चंद्रयान-3 अगले साल के आखिर तक लॉन्च होगा। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के सिवन ने बताया कि कोरोना महामारी के चलते लगे लॉकडाउन की वजह से चंद्रयान-3 और देश के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान समेत कई परियोजनाओं की शुरुआत में देरी हो गई।

सिवन ने कहा, चंद्रयान-3 बहुत कुछ चंद्रयान-2 जैसा ही होगा, मगर इसमें कोई ऑर्बिटर नहीं होगा। जो ऑर्बिटर चंद्रयान-2 में था, उसी का इस्तेमाल चंद्रयान-3 के लिए भी किया जाएगा। हम इस पर काम कर रहे हैं। हम इसके लिए एक प्रणाली विकसित कर रहे हैं और यह 2022 में लॉन्च कर दिया जाएगा।

चंद्रयान-2 आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से 22 जुलाई, 2019 को रवाना किया गया था। सात सितंबर, 2019 को इसके लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर आहिस्ता से उतरना था, मगर यह झटके के साथ उतरा, जिससे प्रयास पूरी तरह सफल नहीं माना जाता है। हालांकि, चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर सफलतापूर्वक अपना काम कर रहा है और इसरो को आंकडे़ भेज रहा है।

गगनयान के मानवरहित मिशन की लॉन्चिंग दिसंबर में
सिवन ने बताया कि गगनयान परियोजना के तहत देश के पहले मानवरहित मिशन को इसी साल दिसंबर में भेजे जाने पर काम हो रहा है। यह मिशन मूल रूप से बीते साल दिसंबर में लॉन्च किया जाना था। यह गगनयान की दिशा में उल्लेखनीय कदम साबित होगा।

मानव मिशन के लिए हर तकनीक को जांचा-परखा जा रहा
गगनयान मानव मिशन को 2022 तक लॉन्च किया जाना है। इसके तहत तीन भारतीय अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे। फिलहाल, मिशन के लिए चार पायलटों को चुना गया है, जिन्हें रूस में कड़ा प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

सिवन से जब गगनयान के मानव मिशन की लॉन्चिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा, प्रदर्शन के लिए बहुत सी तकनीक की जरूरत होती है। हमने तय किया है कि मानव मिशन समय पर रवाना हो। हालांकि, उसके पहले सभी तकनीक पूरी तरह बेदाग होनी चाहिए।

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