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एनएच–49 पर डस्ट की चादर,रक्सापाली के लोगों की “निःशुल्क फिसलपट्टी”


खरसिया।रक्सापाली के पास एनएच–49 इन दिनों किसी औद्योगिक प्रयोगशाला से कम नहीं दिखता। सड़क पर गिरे डस्ट ने ऐसी परत बना दी है मानो राजमार्ग नहीं, मुफ्त की फिसलपट्टी हो—जिसका लाभ लेने के लिए राहगीर मजबूर हैं। योगेश भटपहरे ने बताया कि स्थानीय निवासी लगातार परेशानी में हैं और किसी भी समय हादसे की आशंका बनी है।


उद्योग घरानों से निकलने वाला डस्ट सड़क पर गिरता रहा और प्रशासन उसे देखता रहा। राजमार्ग पर तेज रफ्तार वाहन गुजरते हैं, पर सड़क की हालत देख ऐसा लगता है मानो “धीमी गति” ही अब नया यातायात नियम हो गया हो। रहवासियों ने स्थिति कई बार बताई, पर समाधान की फाइल शायद अभी भी धूल झाड़ने का इंतज़ार कर रही है।


जब एन एच49 सड़क पर डस्ट की मोटी परत हो, दृश्यता कम हो जाए और वाहन फिसलने लगें, तब आमतौर पर अधिकारी सक्रिय हो जाते हैं—लेकिन इस बार लगता है कि डस्ट की चादर ने नजरें भी ढक दी हैं। यह मामला औद्योगिक अनुपालन की कमी और निगरानी तंत्र की सुस्ती दोनों को उजागर करता है।


दुर्घटना का खतरा वास्तविक है, पर फिलहाल सबसे बड़ा जोखिम यह है कि राहगीर हर दिन उसी सड़क पर  जिला, तहसील मुख्यालय अपनी किस्मत आजमाने उतरते हैं। प्रदूषण,फिसलन और परेशानी—तीनों मुफ्त, बिना किसी सरकारी योजना के उपलब्ध हैं।

विडियो- योगेश भटपहरे रक्सापाली …


स्थिति गंभीर हो चुकी है, इसलिए रहवासियों ने मीडिया और अधिकारियों को अवगत कराया है—उम्मीद यही है कि इस बार शिकायत हवा में न उड़ जाए,क्योंकि सड़क पर उड़ने के लिए पहले ही काफी डस्ट मौजूद है।

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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