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नपुंसक बना सकती है कोरोना वैक्सीन! इस दावे पर DCGI ने कही ये बात

देश करीब एक साल से वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से जूझ रहा है। आज दो स्वदेशी वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिलने को राहत के तौर पर देखा जा रहा है।दरअसल, एक्सपर्ट कमेटी की सिफारिश के बाद रविवार को ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया की वैक्सीन कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को भारत में आपात स्थिति में इस्तेमाल के लिए मंजूरी दे दी है।

भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल वीजी सोमानी ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सीडीएससीओ ने पर्याप्त अध्ययन के बाद विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों को स्वीकार करने का फैसला किया है और तदनुसार मैसर्स सीरम और मैसर्स भारत बायोटेक के टीकों के आपात स्थिति में सीमित उपयोग के लिए स्वीकृति प्रदान की जा रही है। इससे आने वाले दिनों में भारत में कम से कम दो टीकों के जारी होने का रास्ता साफ हो गया है।

वैक्सीन 110 फीसदी सुरक्षित
भारत के ड्रग कंट्रोलर जनरल वीजी सोमानी ने वैक्सीन के सुरक्षित होने के सवाल के जवाब में कहा कि अगर सुरक्षा को लेकर जरा भी संदेह होता, तो हम कभी इसे मंजूर नहीं करते। टीके 110 फीसदी सुरक्षित हैं। हल्के बुखार, दर्द और एलर्जी जैसे कुछ दुष्प्रभाव हर टीका के लिए आम हैं। इस टीके से लोग नपुंसक हो सकते हैं, ये बात पूरी तरह बकवास है।

जीसीजीआई के निदेशक वीजी सोमानी ने बताया कि दोनों ही वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इसका इस्तेमाल इमरजेंसी की स्थिति में किया जा सकेगा। डीसीजीआई के मुताबिक, दोनों ही वैक्सीन की दो-दो डोज इंजेक्शन के रूप में दी जाएगी। इन दोनों वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री के तापमान में सुरक्षित रखा जा सकेगा। गौरतलब है कि फिलहाल भारत में कोरोना की छह वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल जारी है। इनमें कोवीशिल्ड और कोवैक्सिन भी शामिल है। कोवीशिल्ड ऑस्ट्रॉक्सी वैक्सीन है, जिसे एस्ट्रजेनेका और पुणे के सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित किया गया है। कोवैक्सीन भारत की बायोटेक द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के सहयोग से विकसित किया जा रहा स्वदेशी टीका है।

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