सरकारी धान खरीद में पेच ही पेच, किसान हो रहें हैं परेशान
सरकारी धान खरीद में पेच ही पेच, किसान हो रहें हैं परेशान
कोटमी डभरा जांजगीर के किसान ने छत्तीसगढ़ सरकार के धान खरीदी प्रकिया को लेकर कहा है कि सरकार को सही मायने में अगर किसानों का भला करना है, तो प्रत्येक पंचायत के किसानों को धान खरीद निगरानी की जिम्मेदारी दे और पंजीयन के नियम कानून को सरल बनाना होगा…
इस संबंध में डभरा के ग्राम कोटमी निवासी माधव पटेल ने बताया कि मुझे 136क्विटल80किलों धान बेचते चला आ रहा था इस वर्ष 30कट्टा कर दिया गया है । इसके लिए भूमि का किसान किताब, बी 1 व अन्य कागजात लेकर पटवारी,तहसीलदार कलेक्टर से सरकार के जिम्मेदार तक सुधार कराने के लिए चक्कर पे चक्कर लगा रहे हैं। इसके बाद भी पंजीकरण गम्भीर त्रुटी में सुधार नहीं । राजस्व अमला आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित को जिम्मेदार ठहरा रहा है तो वही आदिम जाति सेवा सहकारी समिति राजस्व अमले को…
कोटमी निवासी माधव पटेल का कहना है कि सरकार किसानों के उत्थान और आय दोगुना करने की बात करते हैं, मगर जमीनी हकीकत पर कोई ध्यान नहीं देते हैं…
सांकेतिक फोटो
प्रत्येक क्षेत्र में आदिम जाति सेवा सहकारी समिति मर्यादित खोला गया है। मगर इसमें किसानों को किसी भी प्रकार का सुविधा उपलब्ध नहीं हैं। सरकार एक फसल धान की खरीद करती हैं, उसमे भी इतने पेंच हैं, रखने का सही पंजीयन ना होने से ज्यादा तर किसान धान को दलालों के हाथों औने-पौने दाम में बेच देते है। वहीं सरकार द्वारा अब धान खरीद रही हैं, जबकि गांवों में किसान धान 11 रुपये की दर से बेचने को मजबूर हो रहे हैं…
कोविड-19 संक्रमण काल में 61वर्षीय पटेल ने बताएं कि डभरा विकास खण्ड में किसानों के वास्तविक रकबा से बहुत उल्ट फेर कर दिया जिसके वजह से घर से निकला पड़ा पिछले वर्ष 136क्विंटल 80 किलों धान बेचा था और इस वर्ष महज 30कट्टा बेचने के लिए डभरा तहसीलदार पंजीयन किए है …
वजह जान आप भी हैरान हो जाएंगे पटेल की भूमि घर बैठे गिरदावरी करने वाले पटवारी ने पहले मूंगफली चढ़ा दिया उपरोक्त बात की जानकारी होने पर सुधार हेतु पटवारी के चक्कर पर चक्कर लगाने पर मूंगफली के जगह धान तो सुधार कर दिया गया परंतु धान बेचने की बारी आई तब पटेल के होश उड़ गए किसान के भगवान कहे जाने वाले राजस्व अमला डभरा जांजगीर ने ऐसा खेल खेल दिया कि राजधानी से जिले के चक्कर लगाने में समय और धन की बर्बादी के साथ धान मौसम की मार झेल रहा है 136क्विंटल80 किलों धान बेचने वाला किसान 30कट्टा बेचने को मजबूर कर दिया… पैसे की किल्लत के कारण ज्यादातर किसान अपने धान को अवने पौने दामों में व्यापारियों को बेच दिए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की निर्धारित प्रक्रिया में भी बड़ी कठिनाई हैं। जितना किसान को धान उपजाने में फजीहत नहीं होती, उससे कहीं अधिक फजीहत धान बेचने में है…
पटवारी,तहसीलदार, कलेक्टर से राजधानी तक चक्कर लगाने वाले किसान के धान खरीदी पंजीयन की तकनीकी त्रुटि का सदभावना पूर्ण विचार करतें हुए सुधार होगा या ढ़ाक के तीन पात कहावत चरितार्थ होगा …