कृषि अधिनियम राष्ट्रीय कानून, राज्यों को अलग से अधिसूचित करना जरूरी नहीं: संविधान विशेषज्ञ

केंद्र के तीन नए कृषि कानून के खिलाफ जारी आंदोलन के बीच संविधान विशेषज्ञों ने कहा, केंद्र के तीनों कृषि अधिनियम राष्ट्रीय कानून हैं, इसलिए राज्यों को इन्हें अलग से अधिसूचित करने की जरूरत ही नहीं। आंदोलन कर रहे हजारों किसान इन कानूनों को वापस लेने की मांग पर अड़े हैं। कुछ राज्यों ने इनहें अधिसूचित करने से भी इनकार किया है।
विशेषज्ञों ने कहा, गजेट में छपा कानून पूरे देश के लिए होता है अधिसूचित
सरकार में एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, तीनों कानून केंद्र सरकार द्वारा लाए गए हैं और इनके अधिसूचित होते ही ये पूरे देश में लागू हो गए। अब इन्हें अलग अलग राज्यों में अधिसूचित करने की जरूरत नहीं है। कुछ राज्यों में तो किसान पहले ही इन कानूनों के प्रावधानों का लाभ ले रहे है। उनसे जब पूछा गया कि क्या कोई विशेष प्रावधान है जिसके तहत दिल्ली सरकार ने इन तीन में से एक कृषि कानून को इस महीने की शुरुआत में अधिसूचित किया।
जवाब में अधिकारी ने कहा, इसकी कोई जरूरत नहीं थी। लोकसभा के पूर्व महासचिव और संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप ने भी यही बात दोहराई। उन्होंने कहा, इन कानूनों को गजेट में छाप दिया गया है। यह पूरे देश के लिए अधिसूचना का काम करता है। अब इन कानूनों को अलग से अधिसूचित करने की जरूरत नहीं है।




