
खरसिया। हाल ही में अटल रॉक गार्डन, बोतल्दा में हुए दर्दनाक हादसे के बाद प्रशासन ने सतर्कता दिखाते हुए गार्डन को कुछ दिनों के लिए बंद करने का निर्णय लिया। परंतु ground reality कुछ और ही बयां करती है। लोगों की भीड़ कम होने के बजाय,गेट बंद होने के बावजूद लोग आस-पास के रास्तों से गार्डन के भीतर प्रवेश कर रहे हैं।

खरसिया थाना प्रभारी राजेश जांगड़े, खरसिया पुलिस टीम को मौके पर जाकर समझाइश देने और लोगों को बाहर निकालने में खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।

दूसरी ओर,वन विभाग की जिम्मेदारी महज़ कागज़ों तक सीमित नजर आती है। गार्डन की सुरक्षा में नियुक्त कर्मचारियों की वास्तविक संख्या में से 2 से 3 ही दिखाई देते है, जो किसी भी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए अपर्याप्त है।

बरगढ़ स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर दर्शन के लिए आने वाले बड़ी संख्या में श्रद्धालु अटल रॉक गार्डन का भी भ्रमण करते हैं, जिससे विभाग को हजारों रुपए की आमदनी होती है। बावजूद इसके,बीते हादसे के बाद बिना वैकल्पिक व्यवस्था के गार्डन को बंद कर दिया गया है, जिससे प्राकृतिक सौन्दर्य लाभ से वंचित हो रहे है, बल्कि विभाग को भी भारी भरकम राजस्व की हानि उठानी पड़ रही है।

जब इस संबंध में खरसिया रेंजर संतोष कुमार कांत से हमारी टीम ने बात की गई तो ढुलमुल रवैया अपनाया,जवाब में उन्होंने छत्तीसगढ़ी कहावत सुनाने लगे“हमर विभाग सबो के भौजी ए” कहकर बात को टालने की कोशिश की,जो विभागीय गंभीरता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है?

जनता की मांग है कि अटल रॉक गार्डन में जल्द से जल्द स्थायी और प्रभावशाली सुरक्षा व्यवस्था लागू की जाए,
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ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

साथ ही खरसिया रेंजर स्तर पर हो रही लापरवाही के लिए उच्च अधिकारियों द्वारा उचित जांच और कार्यवाही किया जाना चाहिए।





