खरसिया।ग्राम मकरी और ग्राम पंचायत घघरा में मतदाता सूची से नाम विलोपन का विवाद अब ग्रामवासियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बन गया है। तथाकथित मकरी निवासी चन्द्रिका मरकाम और देवनाथ मरकाम के नाम मतदाता सूची से हटाने के लिए 25 अक्टूबर 2024 को आवेदन किया गया था।
29 अक्टूबर को खरसिया तहसीलदार लोमस मिरी के कार्यालय में सुनवाई भी हुई। मामले में पंचनामा और अन्य साक्ष्यों के आधार पर 04 दिसंबर को दोनों व्यक्तियों का नाम सूची से हटा दिया गया।
हालांकि, ग्रामीणों का आरोप है कि अब कुछ प्रभावशाली लोग अधिकारियों पर दबाव बनाकर इन नामों को दोबारा जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। यह विवाद इसलिए भी गहराता जा रहा है क्योंकि मतदाता सूची में संशोधन की समय सीमा समाप्त हो चुकी है।
महिलाओं का संघर्ष: लोकतंत्र की रक्षा की गुहार
ग्राम की महिलाओं ने अपनी चिंता को आवाज देने के लिए अनुविभागीय अधिकारी राजस्व खरसिया (एसडीएम) डॉ. प्रियंका वर्मा से मुलाकात की। महिलाओं का कहना था कि अगर यह राजनैतिक दबाव सफल हुआ,तो ग्राम पंचायत में न केवल अशांति फैलेगी, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया भी प्रभावित होगी।
प्रशासन का भरोसा…
एसडीएम डॉ. प्रियंका वर्मा ने महिलाओं को आश्वासन दिया कि मतदाता सूची से संबंधित किसी भी संशोधन में पारदर्शिता और नियमों का पूरी तरह से पालन किया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी बाहरी दबाव को प्रशासन बर्दाश्त नहीं करेगा।एसडीएम डॉ. वर्मा के इस आश्वासन से महिलाओं को कुछ राहत मिली।
तहसीलदार की चुप्पी से बढ़ी शंका…
जनपद पंचायत खरसिया निर्वाचन शाखा में जिम्मेदारी सम्भाल रहे जिम्मेदारो ने कहां तहसीलदार साहब ही बता पाएंगे सभी फाइलें उनके पास है बग़ैर जानकारी,मार्किग के कुछ जानकारी और आवेदन नहीं सकते हम
दूसरी ओर,जब तहसीलदार लोमस मिरी से इस मामले पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने स्पष्ट जवाब देने से बचते हुए खुद को व्यस्त बताया ।
उनकी चुप्पी ने ग्रामीणों की शंकाओं को और गहरा दिया।
गांव में तनाव: लोकतंत्र पर प्रश्नचिह्न
गांव के लोग इस विवाद से आक्रोशित हैं। उनका मानना है कि यह मामला सिर्फ बाहरी व्यक्ति के नाम का नहीं,
बल्कि पूरी पंचायत की लोकतांत्रिक व्यवस्था का है। ग्रामीणों का कहना है कि बाहरी हस्तक्षेप से गांव के आपसी रिश्ते और शांति पर नकारात्मक असर पड़ सकता है।
ग्रामीणों की पुकार
गांव के निवासियों और महिलाओं ने एक स्वर में प्रशासन से अपील की है, “हमारी पंचायत का सम्मान बनाए रखें। किसी भी दबाव में आकर गलत निर्णय न लें।”
यह घटना प्रशासन के सामने एक चुनौती है कि वह किस तरह से लोकतांत्रिक मूल्यों और पारदर्शिता को बनाए रखते हुए ग्रामीणों का विश्वास कायम रखता है।