क्षेत्र के एक निजी विद्यालय में बच्चे से मारपीट की घटना, प्राचार्य ने मानी गलती, बच्चे का इलाज कराया और भविष्य में ऐसी घटना न दोहराने का आश्वासन
क्षेत्र के मीडिया की सुर्खियों में रहा विद्यालय में अध्ययनरत एक बच्चे के साथ प्राचार्य द्वारा की गई मारपीट की घटना खरसिया क्षेत्र से निकल कर आ रहा है।
इस घटना ने न केवल अभिभावकों के मन में चिंता पैदा की है, बल्कि जिले के शिक्षा प्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं?
सबसे चिंताजनक पहलू यह है कि शासन-प्रशासन और शिक्षा विभाग इस मामले में मौन बने हुए हैं। उनके इस चुप्पी ने लोगों को हतप्रभ कर दिया है। क्या बच्चों की सुरक्षा पर इस तरह की खामोशी उचित है?
लिखित माफीनामा से कोमल मन को लगे चोट के ज़ख्म भर जाएगा
विद्यालय के प्राचार्य ने इस घटना पर अपनी गलती स्वीकार की और घायल बच्चे का इलाज कराने का जिम्मा लिया। उन्होंने बच्चे की माता से लिखित माफी मांगी और स्पष्ट किया कि बच्चों को अनुशासन में रखने के लिए सख्ती बरती जाती है, लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि बच्चे की शारीरिक दुर्बलता है, जिससे उसे गंभीर चोटें आईं।
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प्राचार्य ने भरोसा दिलाया कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्कूल की ओर से सख्त कदम उठाए जाएंगे और बच्चों के साथ संवेदनशील व्यवहार किया जाएगा। बच्चे के इलाज के लिए स्कूल ने पूर्ण सहयोग किया है, जिससे माता-पिता ने संतोष जताया है। बच्चे की माता ने कहा कि वे इस घटना पर अब कोई कानूनी कार्यवाही नहीं चाहतीं और उन्होंने स्कूल प्रबंधन द्वारा मांगी गई माफी को स्वीकार कर लिया है। उनका मानना है कि बच्चों का भविष्य सबसे महत्वपूर्ण है और यह गलती माफ करने योग्य है।
इस घटना के बावजूद,शासन-प्रशासन और शिक्षा विभाग की ओर से कोई ठोस कदम न उठाना चिंताजनक है। इस चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों की रक्षा करने का दायित्व सिर्फ अभिभावकों का है, या शिक्षा विभाग और प्रशासन की भी इसमें कोई जिम्मेदारी है?
बच्चों की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा करना हमारी…
आवश्यक है कि इस तरह की घटनाओं पर गहराई से विचार किया जाए और शिक्षा प्रणाली में सुधार के ठोस कदम उठाए जाएं। बच्चों की सुरक्षा और सम्मान की रक्षा करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए,ताकि भविष्य में कोई भी बच्चा इस तरह के कोप भंजन का शिकार न हो।




