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शिक्षक दिवस पर शिक्षकों की व्यथा: सेवा काल की गणना न होने से सेवानिवृत्ति के बाद दाने-दाने को मोहताज हो रहे हैं एल.बी.संवर्ग के शिक्षक

✍️ गुरुदेव राठौर @खरसिया।छत्तीसगढ़ के शिक्षकों की समस्याओं का सिलसिला लगातार बढ़ता जा रहा है।

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एक ओर जहाँ शिक्षक दिवस पर उनके सम्मान की बातें की जाती हैं,वहीं दूसरी ओर उनके लिए अस्तित्व की लड़ाई दिन-ब-दिन कठिन होती जा रही है।

एल.बी.संवर्ग के शिक्षक, जिन्हें शिक्षा कर्मी के रूप में नियुक्ति मिली थी, सेवानिवृत्ति के बाद बेहद कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

समस्या की जड़: सेवा काल की गणना में असमानता

छत्तीसगढ़ के गठन के पहले, मध्य प्रदेश में नियुक्त शिक्षा कर्मियों की पुरानी सेवा को राज्य शासन द्वारा पेंशन योग्य नहीं माना जा रहा है। 1998 में पंचायती राज अधिनियम के तहत नियुक्त किए गए ये शिक्षाकर्मी, जिन्हें 2018 में स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन मिला, अब तक की उनकी 20 साल की सेवा को शून्य घोषित कर दिया गया है। इस सेवा को पूर्ण पेंशन की पात्रता से बाहर कर दिया गया है, जिसके कारण सेवानिवृत्त होते ही ये शिक्षक बेहद न्यून पेंशन राशि पर निर्भर हो गए हैं।

पुरानी सेवा अवधि को जोड़ने की मांग

छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री गुरुदेव राठौर के अनुसार, यदि राज्य सरकार पुराने सेवा काल को पेंशन योग्य मानकर सेवा की गणना करती, तो इन शिक्षकों को क्रमोन्नत वेतनमान का लाभ मिल सकता था। लेकिन, वर्तमान नीति के चलते यह संभव नहीं हो पा रहा है। मध्य प्रदेश सरकार ने अपने शिक्षा कर्मियों की सेवा अवधि को मान्यता देते हुए उन्हें क्रमोन्नत वेतनमान प्रदान करने का आदेश जारी किया है, जबकि छत्तीसगढ़ राज्य में इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

शिक्षक दिवस पर वास्तविक सम्मान की मांग

शिक्षक दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन का मानना है कि शिक्षकों का सम्मान केवल एक दिन के आयोजन से नहीं किया जा सकता। यह तभी संभव है जब उन्हें उनके सेवा काल का पूरा हक मिले। छत्तीसगढ़ टीचर्स एसोसिएशन ने छत्तीसगढ़ की सरकार से पुरानी सेवा अवधि को जोड़कर इसे पेंशन योग्य सेवा घोषित करने की मांग की है। उनका कहना है कि यही शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों का वास्तविक सम्मान होगा, अन्यथा यह दिवस महज एक औपचारिक आयोजन बनकर रह जाएगा।

शिक्षक, जो समाज के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, उनकी इस व्यथा को समझते हुए, सरकार को जल्द से जल्द इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।

(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं.लेख में प्रस्तुत किसी भी विचार एवं जानकारी के प्रति thedehati.com उत्तरदायी नहीं है।)

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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