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आवारा कुत्तों की आबादी का वैज्ञानिक प्रबंधन

केंद्र सरकार ने पशु जन्म नियंत्रण (डॉग्‍स) नियम, 2001 के स्थान पर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अंतर्गत जीएसआर 193 (ई) दिनांक 10 मार्च, 2023 के माध्यम से पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 को अधिसूचित किया है। इन नियमों का उद्देश्य नसबंदी और टीकाकरण कार्यक्रमों के माध्यम से आवारा कुत्तों की आबादी प्रबंधन पर ध्यान केंद्रीत करना है।

पिछले पांच वर्षों में एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम-एकीकृत स्वास्थ्य सूचना प्लेटफार्म (आईडीएसपी-आईएचआईपी) के अंतर्गत देश में कुत्तों के काटने की संख्या इस प्रकार है:

वर्ष

2019

2020

2021

2022

2023

संख्या

7277523

4633493

1701133

2180185

3043339

केंद्र सरकार ने हाल ही में पशु जन्म नियंत्रण (डॉग्‍स) नियम, 2001 के स्थान पर पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के अंतर्गत जीएसआर 193 (ई) दिनांक 10 मार्च, 2023 के माध्यम से पशु जन्म नियंत्रण नियम 2023 को अधिसूचित किया है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार – कुत्तों के काटने से होने वाले रेबीज के कारण विश्व में मानव मृत्यु की संख्या सालाना 59,000 होने का अनुमान है और भारत में सालाना 20,565 (35%) मौतें होती हैं। ये अनुमान वर्ष 2004 में किए गए अध्ययन के अनुसार हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय देश में रेबीज की रोकथाम और नियंत्रण के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और लक्षद्वीप को छोड़कर सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 12वीं पंचवर्षीय योजना से राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम लागू कर रहा है।

भारत में रेबीज की रोकथाम और नियंत्रण के लिए संबंधित मंत्रालयों/विभागों द्वारा निम्नलिखित पहलें की गई हैं।

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा कार्यान्वित “राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन” के अंतर्गत, राज्यों को ‘राष्ट्रीय रेबीज नियंत्रण कार्यक्रम’ को लागू करने के लिए बजट प्रदान करके समर्थन दिया जा रहा है जिनमें स्वास्थ्य कर्मचारियों की क्षमता निर्माण, रेबीज टीकों और रेबीज इम्युनोग्लोबुलिन की खरीद, रेबीज की रोकथाम और नियंत्रण के लिए जागरूकता सृजन, समीक्षा बैठकें, मॉनेटरिंग और निगरानी,  मॉडल एंटी रेबीज क्लीनिक और घाव धोने की सुविधाओं की स्थापना आदि शामिल हैं।

पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय, भारत सरकार राज्यों से प्राप्त मांग और कार्य योजना के अनुसार पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण कार्यक्रम (एलएचडीसीपी) के घटक ‘पशु रोगों के नियंत्रण के लिए राज्यों को सहायता’ (एएससीएडी) के अंतर्गत रेबीज रोधी टीके की खरीद के लिए राज्यों को वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है। पिछले तीन वित्तीय वर्षों के दौरान, 12737 लाख एंटी रेबीज वैक्सीन खुराकों की खरीद के लिए केंद्रीय हिस्से के रूप में राज्यों को कुल 71,973 लाख रुपए जारी किए गए। राज्यों से प्राप्त सूचना के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में कुत्तों को 10154 लाख रेबीज-रोधी टीके, अन्य पशुओं को 1285 लाख रेबीज-रोधी टीके लगाए गए और 2453 लाख कुत्तों की नसबंदी की गई।

इसके अलावा, पशुपालन और डेयरी विभाग, मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से 2030 (एनएपीआरई) द्वारा भारत से कुत्तों के काटने से होने वाले रेबीज उन्मूलन के लिए राष्ट्रीय कार्य योजना तैयार की। यह मंत्रालय रेबीज उन्मूलन के लिए राज्य कार्य योजना (एसएपीआरई) तैयार करने और राष्ट्रीय कार्य योजना में निर्दिष्ट चरणों के अनुसार एसएपीआरई के पशु स्वास्थ्य घटक का मसौदा तैयार करने के लिए राज्यों को तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए आयोजित क्षेत्रीय और राज्य स्तरीय कार्यशालाओं में सक्रिय रूप से भाग लेता है।

इसके अलावा, कुत्ते के काटने के मामलों को नियंत्रित करने के लिए कुत्ते की आबादी का प्रबंधन महत्वपूर्ण कार्यों में से एक है। इस संबंध में, स्थानीय निकाय पशु जन्म नियंत्रण कार्यक्रम और एंटी रेबीज टीकाकरण को लागू कर रहे हैं, जिसके लिए केंद्र सरकार ने पशु जन्म नियंत्रण नियम, 2023 बनाए हैं। भारतीय पशु कल्याण बोर्ड ने कुत्तों और जिम्मेदार पालतू का प्रबंधन करने के लिए सार्वजनिक और स्थानीय अधिकारियों के लिए विभिन्न सलाह जारी की है।

यह जानकारी केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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