किसान आंदोलन: केंद्रीय मंत्रियों ने कहा- ‘एमएसपी भी जीवित, मंडी भी जीवित, जारी रहेगी सरकारी खरीद’
कृषि कानूनों को लेकर किसानों का प्रदर्शन जारी है। किसान दिल्ली में प्रवेश करने के लिए इसकी सीमाओं पर लगातार चौथे दिन डटे हुए हैं। वहीं, किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए सरकार सक्रिय हो गई है। सरकार ने किसानों के साथ बातचीत की पेशकश की है। वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री कानूनों को लेकर किसानों को समझाने में जुटे हुए हैं। इसी कड़ी में केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर कृषि कानूनों के बारे में जानकारी दी।
केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ट्वीट कर कहा, ‘नए कृषि कानून एपीएमसी मंडियों को समाप्त नहीं करते हैं। मंडियां पहले की तरह ही चलती रहेंगी। नए कानून ने किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आजादी दी है। जो भी किसानों को सबसे अच्छा दाम देगा वो फसल खरीद पाएगा चाहे वो मंडी में हो या मंडी के बाहर।’ इसके साथ उन्होंने एक तस्वीर भी ट्वीट की है, जिसमें कृषि कानूनों को लेकर मिथक और तथ्य बताए गए हैं।
नए कृषि कानून APMC मंडियों को समाप्त नहीं करते हैं। मंडियाँ पहले की तरह ही चलती रहेंगी। नए कानून ने किसानों को अपनी फसल कहीं भी बेचने की आज़ादी दी है। जो भी किसानों को सबसे अच्छा दाम देगा वो फसल खरीद पायेगा चाहे वो मंडी में हो या मंडी के बाहर। #FarmBills pic.twitter.com/xRi35CkOTs
— Ravi Shankar Prasad (@rsprasad) November 30, 2020
वहीं, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ट्वीट कर कहा, ‘कृषि कानून पर गलतफहमी ना रखें। पंजाब के किसानों ने पिछले साल से ज्यादा धान मंडी में बेचा और ज्यादा एमएसपी पर बेचा। एमएसपी भी जीवित है और मंडी भी जीवित है और सरकारी खरीद भी हो रही है।’
कृषि कानून पर गलतफहमी ना रखें। पंजाब के किसानों ने पिछले साल से ज्यादा धान मंडी में बेचा और ज़्यादा #MSP पर बेचा। MSP भी जीवित है और मंडी भी जीवित है और सरकारी खरीद भी हो रही है।
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) November 30, 2020
गौरतलब है कि सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों को लेकर किसानों की सबसे बड़ी चिंता एमएसपी की ही है। इसके अलावा मंडियों को लेकर भी संशय बरकरार है। ऐसे में सरकार अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रही है कि किसानों को समझाकर प्रदर्शन को समाप्त किया जाए।
सरकार ने किसानों को तीन दिसंबर को बातचीत के लिए बुलाया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने रेडिया कार्यक्रम मन की बात में कृषि कानून के फायदे गिनाए थे और किसानों से किसी तरह के अफवाह में नहीं आने की बात कही थी।
दूसरी तरफ, दिल्ली चलो मार्च के आह्वान पर सिंघु, टीकरी व गाजीपुर बॉर्डर पर लगातार चौथे दिन जमे किसानों ने रविवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के सशर्त वार्ता के प्रस्ताव को ठुकरा दिया और सोमवार को भी यहीं जमे हुए हैं। वहीं यूपी गेट पर बैठे किसानों को रोकने के लिए पत्थर के बैरिकेड लगा दिए गए हैं। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने जानकारी दी है कि सोमवार को भी सिंघु व टिकरी बॉर्डर बंद रहेंगे।