माँ

बिना युक्ति के भक्ति न होई और बिना भक्ति के मुक्ति न होई

जय माँ गुरु

यदि पृथ्वी और स्वर्ग दोनों के देवता से सम्पर्क करना हो तो हमें नियंत्रित जीवन जीना होगा और साथ ही साथ “बिना युक्ति के भक्ति न होई और बिना भक्ति के मुक्ति न होई” के अर्थ को ठीक से समझना होगा। आपके पास कुछ नहीं रह गया है आपकी अतिशय चालाकी से। सब जगह चालाकी बरतते हैं। जहां पर चालाकी बरतना है वहां पर बुड़बकाही बरतते हैं और जहां पर बुड़बकाही बरतना है वहां पर चालाकी बरतते हैं। इसी का परिणाम है कि हर दुःख को आप निमंत्रण देते हैं और उससे अपने को गौरवान्वित करते हैं।

शक्ति की पूजा करो, सामग्री की नहीं। पूर्ण एकाग्रता तथा तन्मयता प्राप्त करो।

दूसरे के अवगुणों की अनदेखी कर देना, यह महानता है।

गभ्भीरता में एक श्रध्दा होती है।

वह जिसका मन स्थिर, आत्म संयम में सभी प्रकार की इच्छा एवं वासनाओं से मुक्त है जो अच्छे और बुरे दोनों से परे है, वह जागृत और भयहीन है, साधो !

…परम् पूज्य् अघोरेश्वर भगवान राम जी

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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