रायपुर, 28 अक्टूबर 2020। राजधानी के देवेंद्र नगर आफिसर्स कालोनी के इस बंगले का कभी आलम यह था कि उसमें रहने के लिए कोई तैयार नहीं होता था और अब स्थिति ये है कि आईएएस, आईपीएस, आईआरएस उस बंगले के लिए लाईन लगाए हैं।
ये बंगला है रायगढ़ कलेक्टर भीम सिंह का। भीम हालांकि, रायगढ़ शिफ्थ कर गए हैं लेकिन, यह बंगला उनके पास बना हुआ है। भीम से पहले कई सालों तक इस बंगले में जाने के लिए कोई अफसर तैयार नहीं होते थे।
दरअसल, इस बंगले में बिलासपुर आईजी बीएस मरावी का 2011 में हर्ट अटैक से निधन हो गया था। मरावी रायपुर के एसपी रहे। उसके बाद एडिशनल ट्रांसपोर्ट कमिश्नर। यहां से वे आईजी बनकर वे बिलासपुर गए थे। हालांकि, उनका निधन बिलासपुर में हुआ। लेकिन, उनका परिवार देवेंद्र नगर के इस बंगले में ही रहता था। सो आईएएस अधिकारियों ने इसे अभिशप्ता मान लिया। मरावी के देहावसान के बाद कुछ साल तक उनका परिवार इस बंगले में रहा। इसके बाद संपदा विभाग को हैंडओवर कर उनका परिवार गांव लौट गया। उसके बाद आधा दर्जन से अधिक आईएएस अधिकारियों को यह बंगला आबंटित किया गया। लेकिन, सबने हाथ खड़ा कर दिया। एक सीनियर आईएएस इस बंगले को लेने के लिए साहस जुटाए तो उनकी पत्नी ने बगावत कर दिया। लिहाजा, वे भी पीछे हट गए।
भीम सिंह जब हाउसिंग बोर्ड कमिश्नर बनें तो उन्होंने हिम्मत दिखाई। उन्होंने इस बंगले को आबंटित कराकर रहने लायक बढ़ियां करा लिया। इसके बाद संयोग से वे रायगढ़ कलेक्टर बन गए। रायगढ़ कलेक्टर बनना वाकई चमत्कारिक था। राजधानी में लगभग सबने समझ लिया था कि अब 2007 और 2008 बैच को कलेक्टर बनने का मौका नहीं मिलेगा। भीम सिंह पिछली सरकार में धमतरी, अंबिकापुर और राजनांदगांव के कलेक्टर रहे थे। इसके बाद अब उन्हें रायगढ़ जैसा जिला मिल गया।
जाहिर है, अभिशप्त बंगले से भीम सिंह का रायगढ़ जैसा बड़े जिले का कलेक्टर बनना नौकरशाहों का ध्यान इस बंगले की ओर खींचा है। इस बंगले के प्रति अधिकारियों का आकर्षण उन्होंने बढ़ा दिया है। सबको पता ही है कि वे अब रायगढ़ के कलेक्टर बन गए है तो रायपुर का मकान खाली करेंगे ही। एसीएस होम सुब्रत साहू का भी देवेंद्र नगर में अच्छे लोकेशन पर मकान था। लेकिन, जब वे दुर्ग के कलेक्टर बनें तो तुरंत बंगला खाली कर दिए थे। ऐसे अनेक उदाहरण हैं। लिहाजा, कई आईएएस, आईपीएस, आईआरएस अधिकारियों ने भीम सिंह के इस बंगले के लिए दावेदारी कर दी है।