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भारत में जल्द शुरू होगा पहली इंट्रानेजल कोरोना वैक्सीन का ट्रायल, भारत बायोटेक-सीरम इंस्टीट्यूट को जिम्मा !

देश में कोरोना वायरस महामारी का कहर अब धीरे-धीरे कम हो रहा है। इस बीच कोरोना वैक्सीन को लेकर देश में कई तरह की खबरें आ रही है। अगले साल तक देश में कोरोना का टीका आने की उम्मीद जताई जा रही है। इस बीच, स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा है कि देश में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत बायोटेक आने वाले महीनों में इंट्रानैजल कोरोना वैक्सीन का आखिरी ट्रायल शुरू करेंगे।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि फिलहाल भारत में एक भी इंट्रानैजल(नासिका संबंधी टीका) कोरोना वैक्सीन का ट्रायल नहीं चल रहा है लेकिन सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया या भारत बायोटेक के आने वाले महीनों में मंजूरी के बाद ऐसे टीकों के क्लीनिकल ट्रायल किए जाने की संभावना है।

स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि अंतिम चरण के परीक्षण में आमतौर पर हजारों प्रतिभागी शामिल होते हैं। कभी-कभी 30,000 से 40,000 लोग भी होते है। उन्होंने बताया कि फिलहाल देश में किसी भी नासिका संबंधी टीके का परीक्षण नहीं चल रहा है। यह वैक्सीन सीधा इंजेक्शन के जरिए ना देकर नाक के जरिए लोगों को दी जा जाती है।

भारत में रूसी वैक्सीन के ट्रायल को मंजूरी

इससे पहले भारत में रूसी कोरोना वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी गई। भारतीय दवा महानियंत्रक ([डीसीजीआइ)] ने कोरोना वायरस के खिलाफ रूस की वैक्सीन स्पुतनिक-5 के दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए मंजूरी दे दी है। हैदराबाद स्थिति दवा कंपनी डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरीज ([डीआरएल)] ने शनिवार को यह जानकारी दी। डीआरएल और रूस के सरकारी फंड के बीच भारत में इस वैक्सीन के ट्रायल और वितरण को लेकर करार हुआ है

सर्दी में कोरोना बढ़ने की आशंका

वैज्ञानिकों ने सर्दी के मौसम में कोरोना संक्रमण बढ़ने का अंदेशा जताया है। उनका कहना है कि गर्मी के मौसम में कोरोना वायरस फैलने का एक बड़ा कारण संक्रमित छोटे आकार के एरोसॉल कणों (हवा में मौजूद ठोस या वाष्प कण) के संपर्क में आना है। जबकि सर्दी में संक्रमण फैलने का मुख्य कारण सांस छोड़ने, खांसने या छींकने के दौरान मुंह और नाक से निकली बूंदों के सीधे संपर्क में आना हो सकता है।

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