कोरोना का कहर: खतरे में पड़ी पूर्वी एशिया की शुरुआती कामयाबी, दूसरी लहर में इंडोनेशिया सबसे ज्यादा प्रभावित
कोरोना महामारी के शुरुआती दिनों में पूर्वी एशिया के देशों ने इस पर काबू पाने में उल्लेखनीय सफलता पाई थी। उसकी दुनिया भर में चर्चा हुई। लेकिन पिछले कुछ दिनों में उनमें से कई देशों में यह महामारी फिर तेजी से फैली है। इनमें जापान और दक्षिण कोरिया भी हैं। लेकिन सबसे ज्यादा मार इंडोनेशिया पर पड़ती दिख रही है।
बीते हफ्ते वहां एक दिन में लगभग साढ़े आठ हजार केस सामने आने का रिकॉर्ड बना। हालांकि अमेरिका, ब्राजील या भारत जैसे देशों की तुलना में ये संख्या कम है, लेकिन पूर्वी एशिया के पैमाने पर इसे काफी ज्यादा माना गया है।
अभी भी मलेशिया, सिंगापुर और फिलीपींस जैसे देशों में हर दस लाख आबादी पर सामने आए मामलों की संख्या दुनिया के दूसरे हिस्सों से कम है। इंडोनेशिया में भी इस मामले में हालत ज्यादा बुरी नहीं है। लेकिन इस क्षेत्र में हाल का ट्रेंड चिंता पैदा कर रहा है।
महामारी के शुरुआती दिनों में वियतनाम, कंबोडिया और म्यामांर ने जिस तरह संक्रमण पर काबू पाया, उस पर दुनिया का ध्यान गया था। तब फिलीपींस पर महामारी की गहरी मार पड़ी थी, लेकिन वहां भी हालत को जल्द ही संभाल लिया गया।
सिंगापुर की नेशनल यूनिवर्सिटी के सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ प्रोफेसर जेरेमी लिम ने एक अखबार से कहा कि पूर्वी एशियाई देशों ने कम संसाधन के बावजूद जरूरत के मुताबिक प्रभावी कदम उठाए। लेकिन वायरस पर काबू पाने में संसाधनों की बड़ी जरूरत पड़ती है। कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए बड़े पैमाने पर टेस्टिंग जरूरी है। इस इलाके के कई देशों के पास इसके लिए जरूरी संसाधन नहीं हैं।
इंडोनेशिया इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा आबादी वाला देश है। वहां की आबादी 27 करोड़ से ज्यादा है। इंडोनेशिया में कोविड-19 से पैदा हुई चुनौती के बारे में हाल में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक रिपोर्ट जारी की। उसमें उन चुनौतियों का जिक्र किया गया, जिसका सामना इस देश को करना पड़ रहा है।
डब्ल्यूएचओ ने बताया कि इंडोनेशिया में कोरोना सैंपल की जांच रिपोर्ट आने में एक हफ्ते तक का वक्त लग जाता है, इसलिए रोजमर्रा की संख्याओं पर गौर करते वक्त सतर्क नजरिया अपनाने की जरूरत है।
इंडोनेशिया में कोरोना संक्रमण का पहला मामला दो मार्च को सामने आया था। पिछले हफ्ते वहां प्रति एक लाख आबादी पर मामलों की संख्या 13.5 तक पहुंच गई। देश के लगभग हर राज्य में प्रति एक लाख पर कोरोना मामलों की संख्या बढ़ी।
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक इंडोनेशिया में जितने कंफर्म केस सामने आए हैं और जितने लोगों को संक्रमण लगने का शक है, इसके बीच खाई बहुत चौड़ी है। इसकी वजह यह है कि इंडोनेशिया में पर्याप्त संख्या में टेस्ट नहीं हो रहे हैं।
इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने कोरोना वायरस की वैक्सीन अपने देश में जल्द से जल्द लाने का एलान किया है। इंडोनेशिया सरकार ने चीन में बन रहे वैक्सीन को लाने के लिए करार पर दस्तखत किए हैं। लेकिन वैक्सीन की पहली खेप अगले साल ही आ पाएगी।
इस बीच देश में महामारी बढ़ रही है। इस कारण अर्थव्यवस्था का संकट भी बढ़ता जा रहा है। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के प्रो जेरेमी लिम ने कहा कि इंडोनेशिया जैसे गरीब देश के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराना आसान नहीं है। लोग घर से बाहर ना निकलें, यह धनी देश ही सुनिश्चित कर सकते हैं।
यही हाल पूर्वी एशिया के तमाम निम्न और मध्य आय वाले देशों का है। इसलिए ये अंदेशा पैदा हुआ है कि ये इलाका कोरोना महामारी का अगला हॉटस्पॉट बन सकता है। संसाधनों की कमी और सघन आबादी के कारण यहां खतरा मंडरा रहा है। जापान और दक्षिण कोरिया जैसे समृद्ध देशों को भी महामारी के नए दौर का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए इस क्षेत्र में चिंताएं गहरा गई हैं।