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एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भारत में काम बंद करने का किया ऐलान, सरकार पर लगाया “Witch-Hunt” का आरोप

इंटरनेशनल डेस्कः अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरेशनल इंडिया ने मंगलवार को भारत में अपना कामकाज बंद करने की घोषणा की है। संस्था ने आरोप लगाया है कि भारत सरकार ने इस साल के शुरु में कार्रवाई के तहत उसके अकाउंट फ्रीज़ कर दिए जिसके बाद उसे अपने अधिकतर स्टाफ को निकालना पड़ा। संस्था ने भारत सरकार पर ‘witch-hunt’ यानी पीछे पड़ जाने का आरोप लगाया है जबकि सरकार का आरोप है कि इस संस्था ने Foreign Contribution (Regulation) Act के तहत कभी रजिस्ट्रेशन ही नहीं कराया है जोकि विदेशी फंडिंग के लिए जरूरी होता है। एमनेस्टी इंटरनेशनल एक गैर-सरकारी संगठन है जिसका मुख्यालय ब्रिटेन यानि यूनाइटेड किंगडम में है जो मानव अधिकारों पर केंद्रित है। संगठन का कहना है कि दुनिया भर में इसके आठ मिलियन से अधिक सदस्य और समर्थक हैं।

संस्था का कामकाज पूरी तरह से ठप्प
एमनेस्टी ने एक प्रेस रिलीज जारी कर कहा कि ‘भारत सरकार की ओर से एमनेस्टी इंटरनेशनल इंडिया के बैंक अकाउंट्स पूरी तरह फ्रीज़ कर दिए गए और उन्हें इसकी जानकारी 10 सितंबर को हुई । इससे संस्था का कामकाज पूरी तरह से ठप्प हो गया है। ‘ एमनेस्टी ने आरोप लगाया कि निराधार आरोपों के बल पर भारतीय सरकार मानवाधिकार संस्थाओं के खिलाफ लगातार विच-हंट चला रही है । संस्था ने दावा किया है कि उसने सभी भारतीय और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का पालन किया है। उसने आगे लिखा है, “ये मानवाधिकार संगठनों के ख़िलाफ़ भारत सरकार की ओर से बेबुनियाद और खास मकसद से लगाए गए आरोपों के आधार पर चलाए जा रहे अभियान की एक ताजा कड़ी है। “

दादागिरी दिखा रही भारत सरकार
एमनेस्टी के एक्ज़ीक्यूटिव डायरेक्टर अविनाश कुमार व एक वरिष्ठ अधिकारी रजत खोसला ने कहा, “हम भारत में एक अभूतपूर्व परिस्थिति का सामना कर रहे हैं। हमें सरकार की ओर से एक व्यवस्थित तरीक़े से लगातार हमलों, दादागिरी और परेशानी का सामना करना पड़ रहा है और ये केवल इसलिए हो रहा है कि हम मानवाधिकार से जुड़े काम कर रहे हैं और सरकार हमारे उठाए सवालों का जवाब नहीं देना चाह रही है, वो चाहे दिल्ली दंगों को लेकर हमारी पड़ताल हो या जम्मू-कश्मीर में लोगों की आवाजों को खामोश करना। “

भारत में असंतोष का किया जा रहा दमन
एमनेस्टी ने पिछले महीने एक रिपोर्ट में कहा था कि फ़रवरी में दिल्ली में हुए दंगों में मानवाधिकारों का उल्लंघन हुआ था। दिल्ली पुलिस ने रिपोर्ट का खंडन करते हुए अख़बार द हिंदू से कहा था कि एमनेस्टी की रिपोर्ट “एकतरफ़ा, पक्षपाती और विद्वेषपूर्ण” है। इस साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को ख़त्म किए जाने के एक साल पूरा होने पर एमनेस्टी ने हिरासत में रखे गए सभी नेताओं, कार्यकर्ताओं और पत्रकारों को रिहा किए जाने और सामान्य इंटरनेट सेवा बहाल करने की माँग की थी। एमनेस्टी बार-बार ये कहते हुए सरकार की आलोचना करती रही है कि भारत में असंतोष का दमन किया जा रहा है।

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