छत्तीसगढ़रायगढ़

गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन में रायगढ़ जिला राज्य में तीसरे पायदान पर

कलेक्टर भीम सिंह के नेतृत्व में हासिल की उपलब्धि

रायगढ़ । शासन की महत्वपूर्ण गोधन न्याय योजना के क्रियान्वयन में रायगढ़ जिले ने शानदार प्रदर्शन करते हुए पूरे राज्य में गोबर खरीदी के मामले में तीसरे पायदान पर है। कलेक्टर भीम सिंह के सतत् मार्गदर्शन और मानिटरिंग से जिले ने यह उपलब्धि हासिल की है। गोधन न्याय योजना के 01 से 15 सितम्बर तक के खरीदी के आंकड़े को देखें तो जिले के 220 गौठानों में 39 हजार 585.49 क्विंटल गोबर खरीदा गया जिसके एवज में पशुपालकों को 79 लाख 17 हजार का ऑनलाइन भुगतान किया गया।

पूरे प्रदेश में 01 से 15 सितम्बर तक 401475.05 क्विंटल गोबर खरीदा गया जिसमें से रायगढ़ जिले में ही 39585.49 क्विंटल की खरीदी की गयी, जो राज्य में इस दौरान हुयी खरीदी का 9.86 प्रतिशत है। प्रति गौठान में औसत खरीदी के लिहाज से देखा जाये तो रायगढ़ जिले में इन 15 दिनों में जिले के 220 गौठानों में प्रति गौठान 179.93 क्विंटल के हिसाब से खरीदी की गयी है।

योजना की शुरुआत से ही कलेक्टर  भीम सिंह ने विभागीय अधिकारियों के साथ नियमित समीक्षा कर योजना के प्रभावी क्रियान्वयन की रुपरेखा तैयार की। इसके साथ ही उन्होंने गौठानों का निरीक्षण कर योजना के संचालन को बेहतर बनाने की दिशा में कार्य किया। सीईओ जिला पंचायत सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी की जमीनी स्तर पर योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए विशेष रूप से प्रयासरत रहने और जिला पंचायत के साथ कृषि विभाग, पशुपालन विभाग व सहकारिता विभाग के समन्वय करने से अधिक से अधिक संख्या में पशुपालकों को जोडऩे, उनका पंजीयन करने और भुगतान हेतु समस्त प्रक्रियाओं को पूर्ण करने का कार्य सफलता पूर्वक किया गया। इन कार्यों की नियमित रिपोर्टिंग लेकर वरिष्ट अधिकारियों ने आ रही समस्याओं और कमियों को दूर किया। मैदानी अमले ने भी अपनी भूमिका का सराहनीय निर्वहन किया जिसका यह परिणाम रहा की रायगढ़ जिले ने पूरे प्रदेश में कुल गोबर खरीदी के मामले में तीसरा स्थान दर्ज किया।

उल्लेखनीय है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने शासन द्वारा प्रारंभ की गई इस योजना से ग्रामीणों को बड़ा लाभ हो रहा है। यह उनके लिये बिना निवेश के अतिरिक्त आय का जरिया बन रहा है। कोरोना संकट के बीच प्रत्येक 15 दिनों में गोबर बिक्री का भुगतान एक बड़ी राहत की बात है। इस गोबर से गोठानों में वर्मी कम्पोस्ट बनाया जा रहा है। जिससे जैविक खेती को बढ़ावा मिलने के साथ रोजगार के नये अवसर सृजन का दोहरा लाभ मिल रहा है।

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