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पुलिस हिरासत में भेजे गए कम्प्यूटर बाबा, जानें क्या है पूरा मामला

इंदौरः जबरन घर में घुसकर एक व्यक्ति पर तलवार से हमले के प्रयास के आरोप को लेकर दर्ज मामले में कम्प्यूटर बाबा को स्थानीय अदालत ने सोमवार को एक दिन के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया. अवैध रूप से बनाए गए आश्रम को ढहाए जाने के दौरान यहां आठ दिन पहले एहतियातन गिरफ्तारी के बाद से 54 वर्षीय धार्मिक नेता केंद्रीय जेल में बंद थे.

 

जिला अभियोजन अधिकारी अकरम शेख ने संवाददाताओं को बताया कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच नामदेव दास त्यागी (कम्प्यूटर बाबा का असली नाम) को जेल से लाकर एक स्थानीय अदालत के सामने पेश किया गया था. उन्होंने बताया कि अभियोजन के आग्रह पर अदालत ने कम्प्यूटर बाबा को एरोड्रम थाने में दर्ज मामले में मंगलवार तक के लिए पुलिस हिरासत में भेज दिया.

 

शेख ने बताया कि शुक्रवार को दर्ज इस मामले में कम्प्यूटर बाबा और उनके कुछ साथियों पर आरोप है कि उन्होंने राजेश खत्री नाम के व्यक्ति के घर में जबरन घुसकर उससे गाली-गलौज और मारपीट के साथ ही उस पर तलवार से हमले का प्रयास भी किया. उन्होंने बताया, “हमने अदालत से यह कहते हुए कम्प्यूटर बाबा को एरोड्रम पुलिस की हिरासत में भेजे जाने की गुहार लगाई कि पुलिस को उनकी निशानदेही पर वह तलवार बरामद करनी है जो इस अपराध में प्रयुक्त की गई थी.”

 

खत्री का आरोप है कि यह घटना करीब डेढ़ महीने पहले इसलिए सामने आई क्योंकि उन्होंने कम्प्यूटर बाबा के अम्बिकापुरी एक्सटेंशन स्थित आश्रम में चलने वाली “अनैतिक गतिविधियों” को लेकर विवादास्पद धार्मिक नेता के सामने आपत्ति जताई थी.

 

इस बीच, अदालत ने गांधी नगर पुलिस थाने में दर्ज एक अन्य मामले में कम्प्यूटर बाबा को 25,000 रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी. इस मामले में कम्प्यूटर बाबा और उनके कुछ साथियों पर अनुसूचित जाति वर्ग से ताल्लुक रखने वाले एक ग्राम पंचायत सचिव से अभद्रता, मारपीट और गाली-गलौज करने के आरोप हैं.

 

पुलिस और प्रशासन के दल ने इंदौर शहर से सटे जम्बूर्डी हप्सी गांव में सरकारी जमीन पर बने कम्प्यूटर बाबा के अवैध आश्रम को आठ नवंबर को जमींदोज कर दिया था. इसके साथ ही, भाजपा और कांग्रेस की पिछली सरकारों में राज्य मंत्री के दर्जे से नवाजे गए धार्मिक नेता को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 151 (संज्ञेय अपराध घटित होने से रोकने के लिये की जाने एहतियातन गिरफ्तारी) के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. इसके बाद उन पर गांधी नगर और एरोड्रम क्षेत्रों के पुलिस थानों में अलग-अलग कानूनी प्रावधानों के तहत दो आपराधिक मामले दर्ज किए गए थे.

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