बदले मौसम में बरते सावधानी,उल्टी-दस्त को गंभीरता से लिया जाएं – सीएमएचओ
जिला मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ एम पी महिस्वर के अनुसार बरसात के मौसम में दूषित जल व दूषित खान -पान के कारण व्यक्ति की आंत में संक्रमण हो जाता है, जिससे डायरिया पनपता है। डायरिया में दस्त की पुनरावृति दिन में कई बार हो जाती है, जिसके कारण शरीर का पानी मल के साथ बाहर आ जाता है और शरीर में पानी की कमी हो जाती है, इसे निजर्लीकरण कहा जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति को बहुत अधिक कमजोरी आती है तथा वह सुस्त और थका हुआ महसूस करने लगता है। उसकी त्वचा सूखने लगती है। शरीर में ऐंठन भी होने लगती है। बच्चों के केस में यह अत्यंत ही खतरनाक हो सकता है। ज्यादा दस्त आने के कारण बच्चों में चिड़चिड़ापन हो जाता है तथा जब वह रोते हैं तो उनकी आंखों से आंसू भी नहीं निकलते ऐसा शरीर में पानी की कमी के कारण होता है, वह सो भी नहीं पाते।
डायरिया से बचाव के लिए अपने आसपास जल स्रोतों की साफ-सफाई एवं पेयजल को शुद्ध करवाना अति आवश्यक है इसके लिए ब्लीचिंग पाउडर तथा क्लोरीन टेबलेट का भी उपयोग किया जाना जरूरी है। भोजन से पूर्व हाथ अच्छी तरह से साफ करना चाहिए। उल्टी दस्त की स्थिति में व्यक्ति को घरेलू स्तर पर नमक चीनी पानी का घोल लगातार दिया जाना चाहिए इसके साथ ही वतर्मान में स्वास्थ्य केंद्रों तथा प्रत्येक गांव में मितानिनों के पास नि शुल्क ओआरएस उपलब्ध है जो घोल बनाकर दिया जाए, तो मरीज को राहत मिलती है, इसके अतिरिक्त त्वरित रूप से चिकित्सक को दिखाते हुए उनके परामर्श से दी हुई दवाइयों का भी सेवन किया जाना जरूरी है। डायरिया की बीमारी देखने में तो एक आम बीमारी है, परंतु लापरवाही करने पर यह जानलेवा भी हो सकती है। किसी प्रकार की उल्टी दस्त की शिकायत में त्वरित रूप से ओआरएस का घोल लेने के साथ-साथ नजदीक के स्वास्थ्य केंद्र में संपर्क कर अपना उपचार करवाना अति आवश्यक है। नअगर हम अपने आसपास साफ सफाई का ध्यान रखेंगे तो न केवल डायरिया अपितु मलेरिया, डेंगू, हैजा, टाइफाइड जैसे अन्य मौसम जनित रोगों से भी बचाव हो सकेगा।