टीबी के संभावित मरीजों की खोज के लिए घर-घर दस्तक दे रही स्वास्थ्य विभाग की टीम
रायगढ । टीबी एक संक्रामक बीमारी है, जो शरीर के हर अंग को प्रभावित कर सकती है। खासतौर पर यह फेफड़ों को सबसे अधिक क्षति पहुंचाती है। टीबी नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिलेभर में घर-घर जाकर स्वास्थ्य विभाग की टीम टीबी के संभावित मरीजों की पहचान कर रही है।
क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के जिला नोडल अधिकारी डॉ. जया कुमारी चौधरी ने बताया: “जिले में नियमित रूप से संभावित टीबी रोगी की पहचान के लिए घर घर जाकर संभावित रोगियों की खोज की जा रही है । जिले में 03 जुलाई तक 1,479 टीबी संभावित मरीजों की जांच की गई जिनमें से 99 टीबी के संक्रमित मरीज़ मिले हैं। इनका नियमित रूप इलाज स्वास्थ्य विभाग द्वारा कराया जा रहा है। टीबी रोग माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस नामक बैक्टीरिया से फैलता है। यह रोग संचारी रोग है । बैक्टीरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। यह उन व्यक्तियों को अपनी चपेट में जल्दी ले लेता है, जिनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर होती है। समय पर इसके लक्षणों की पहचान और उपचार कराकर इस रोग से बचा जा सकता है।“
आगे उन्होंने बताया, “टीबी का इलाज कम से कम छह महीने तक चलता है। कुछ विशेष परिस्थिति में डॉक्टर की सलाह पर टीबी का इलाज छह महीने से अधिक तक चल सकता है। टीबी के उपचार के दौरान कई मरीज कुछ स्वस्थ होने के बाद दवाई का सेवन बंद कर देते हैं, जिससे यह रोग और विकराल रूप ले सकता है। स्वास्थ्य विभाग की टीम जिसमें एएनएम, मितानिन, आरएचओ और एमटी होते हैं जब सर्वे के दौरान जब रोगी को चिन्हांकित करते हैं तो उसको नियमित इलाज के लिए भी समझाते हैं । ताकि बीच में रोगी दवाई न छोड़े और टीबी चैंपियन के माध्यम से यह भी बताया जाता है कि उन्होंने टीबी को नियमित दवा सेवन से कैसे मात दी।“
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. एसएन केसरी ने बताया: “जिले के सभी शासकीय स्वास्थ्य केंद्रों में टीबी के इलाज के लिए दवाइयां उपलब्ध है। सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में इसकी निःशुल्क जांच, इलाज और दवाई दी जाती है। टीबी के सभी पंजीकृत मरीजों को निक्षय पोषण योजना के तहत इलाज के दौरान पोषण आहार के लिए प्रति माह 500 रुपए की राशि दी जाती है। डॉट सेंटर्स या डॉट प्रोवाइडर्स के माध्यम से टीबी से पीड़ित मरीजों को घर के पास या घर पर ही दवाई उपलब्ध कराई जा रही है।“
टीबी के मुख्य लक्षण
टीबी के प्रमुख लक्षणों में दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक खांसी का होना, खांसी के साथ बलगम आना, कभी−कभी थूक में खून आना, वजन का कम होना, भूख में कमी होना, सांस लेते हुए सीने में दर्द की शिकायत, शाम या रात के समय बुखार आना जैसे लक्षण हो सकते हैं।
कैसे फैलता है टीबी :
टीबी के बैक्टीरिया सांस द्वारा शरीर में प्रवेश करते हैं। किसी रोगी के खांसने, बात करने, छींकते,थूकते समय बलगम या थूक की छोटी-छोटी बूंदें हवा में फैलना उपस्थित बैक्टीरिया कई घंटों तक हवा में रहते हैं। जो स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में सांस के माध्यम से प्रवेश करके रोग पैदा करते हैं। एक मरीज 15-20 स्वस्थ लोगों को संक्रमित कर सकता है।
टीबी से बचाव
टीबी की दवाई को बिना डॉक्टरी सलाह के बंद नहीं करना । टीबी से बचाव के लिए जन्म के एक वर्ष के भीतर शिशु को बीसीजी का टीका लगवाना चाहिए। खांसते, छींकते समय मुंह को ढक कर रखें। आसपास साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।