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वन महोत्सव पर लें प्रण ….

वन महोत्सव पर लें प्रण …

‘जब धरती पर रहेंगे वन, तभी मिलेगा हमें स्वच्छ जीवन’

खरसिया विधान सभा क्षेत्र के प्रकृति के गोद में बसे बरगढ़ खोला के ग्राम टाड़ापारा में वन महोत्सव 2020 ग्राम वन रोपड़ महोत्सव में कल होंगे उपस्थिति वृहद वृक्षारोपण करेंगे खरसिया विधान सभा क्षेत्र के दुलारे खरसिया विधायक, छत्तीसगढ़ शासन के उच्च शिक्षा मंत्री उमेश पटेल, रायगढ़ जिला पंचायत अध्यक्ष निराकार पटेल, जिला कलेक्टर भीम सिंह , जिला पंचायत सदस्य श्रीमती संतोषी राठिया ,खरसिया जनपद पंचायत अध्यक्ष मेहत्तर उरांव, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष कृष्ण कुमार पटैल, जनपद पंचायत सदस्य श्रीमती ईश्वरी राठिया, पुछियापाली सरपंच श्रीमती ललिता देवी के साथ विधानसभा क्षेत्र के गणमान्य लोगों के साथ जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी और आपश्री के गौरव पूर्ण उपस्थिति में …

शास्त्रों में बताई गई है वन की महत्ता

तडागकृत् वृक्षरोपी इष्टयज्ञश्च यो द्विजः।

एते स्वर्गे महीयन्ते ये चान्ये सत्यवादिनः॥

अर्थात् तालाब बनवाने, वृक्षारोपण करने और यज्ञ का अनुष्ठान करने वाले व्यक्ति को स्वर्ग में महत्ता दी जाती है, इसके अतिरिक्त सत्य बोलने वालों को भी महत्व मिलता है।

पुष्पिताः फलवन्तश्च तर्पयन्तीह मानवान्।

वृक्षदं पुत्रवत् वृक्षास्तारयन्ति परत्र च॥

फलों और फूलों वाले वृक्ष मनुष्यों को संतुष्टि प्रदान करते हैं। साथ ही वृक्षारोपण करने वाले व्यक्ति का परलोक में तारण भी वृक्ष ही करते हैं।

वन जीवन है। इसांन को यदि इस धरती पर जीवित रहना है तो उसे सांस लेने की जरुरत है यदि सांस लेने में ऑक्सीजन नहीं होगी तो हम जीवित भी नहीं होंगे। जिस तरह से रहना, खाना, पीना, सोना जरुरी है वैसे ही सांस लेना भी अति आवश्यक है। सांस लेने का एकमात्र जरिया है वो है वृक्ष। यदि वृक्ष नहीं होगें तो हम ताजा सांस नहीं ले सकते, हमें जरुरी तत्वों की प्राप्ति नहीं होगी। देखा जाए तो जिंदगी का पर्याय ही वृक्ष हैं। इन्हीं वृक्षों को बचाए रखने के लिए प्रतिवर्ष जुलाई माह में वन महोत्सव के रुप में मनाया जाता है।

प्रारंभ से ही मनुष्य के जीवन में प्राकृतिक गैसों, पर्य़ावरण, पेड़-पौधे, वनों और जीव जन्तुओं आदि की महत्ता बनी हुई है। ऐसे में मानव सभ्यता की शुरुआत से ही धरती पर विभिन्न तरह के प्राकृतिक बदलावों को भी देखा जाता रहा है। लेकिन जब प्रकृति प्रदत्त किसी चीज को मनुष्य द्वारा नुकसान पहुंचाया जाता है तो उसका सबसे पहले प्रभाव मानव जीवन पर ही पड़ता है।

अब चाहे बात करें जंगलों में लगने वाली आग की या जलवायु परिवर्तन की। दोनों ही परिस्थितियों में मानव जीवन को खतरा पहुंचा है, ऐसे में जरूरी है कि हम अभी से प्राकृतिक चीजों के प्रति करूणा का भाव अपनाएं। अन्यथा ऐसा न हो कि मानव जीवन का अस्तित्व ही खत्म होने की कगार पर आ जाए। तो आइए इस वन महोत्सव पर प्रण लें कि जिस धरती पर हमने सजोएं स्वप्न सलौने, उन्हें हम साकार कर पाएं।

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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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