रायगढ़। आम तौर पर ऑनलाईन ठगी के शिकार लोगों की जमापूंजी डूब ही जाती है, लेकिन यह पहला मामला है, जिसमें बिल नहीं पटने पर बिजली कनेक्शन का झांसा देते हुए डेंटिस्ट डॉ. ईशान अवस्थी से हड़पे 50 हजार रुपये उनको वापस मिल गए हैं और यह संभव हो सका है- बैंक एवं सायबर सेल की सक्रियता से।
पासवर्ड के अलावे यूजर आईडी भी दिखा और शातिर ने 50 हजार रुपए निकाला। अपने खाते से जमापूंजी निकलते ही ईशान को ठगी की भनक लगने पर कहा कि उनके 50 हजार का ट्रांजैक्शन हो गया तो आरोपी ने एमाउंट रिफंड करने के लिए फिर एक्सेस करने कहा। दरअसल, कोई नया ट्रांजैक्शन करता है तो इसके लिए अपर लिमिट 50 हजार है, मगर यह दुबारा में अनलिमिटेड हो जाता है। अगर ईशान यह गलती कर बैठते तो शातिर संभवत: उनके एकाउंट को खाली भी कर सकता था, मगर उन्होंने मौके की नजाकत को भांप वक्त न गंवाते हुए नेट बैंकिंग को तत्काल डिस्कनेक्ट करने के साथ एनी डेस्क एप को भी अनस्टॉल कर दिया। डॉ. ईशान फिर अपने घर के नजदीक भारतीय स्टेट बैंक के कृषि विकास शाखा गए और मैनेजर को आपबीती बताते हुए अपने सारे एकाउंट्स होल्ड पर रखवाया और फ्रि ज करा दिया। इसके बाद फौरन चक्रधर नगर बैंक में शिकायत दर्ज कराते हुए मदद मांगी।
सायबर सेल ने ईमेल और पे रिस्क द्वारा इंटर मिडियट बॉडी से प्रोसेस शुरू किया तो कथित बिजली अधिकारी दीपक शर्मा का लोकेशन झारखण्ड का जमतरा मिला। यही नहीं, सायबर सेल ने मैसेज के बाद कॉलिंग नंबर को खंगाला तो वह पी. बोल बिजनेस सॉल्यूशन कंपनी, मुंबई निकला, जो 1 बरस से रजिस्टर्ड है। सायबर सेल पे रिस्क थू्र प्रक्रिया आगे बढ़ी तो उससे कंपनी के सीनियर निखिल धवन तक बात पहुंची। निखिल ने मेल का रिप्लाई 3 दिन में देते हुए कहा कि एमाउंट रिफंड हो जाएगा। फिर बीते 7 मई को निखिल ने मेल कर बताया कि 48 घंटे में ईशान को पैसे वापस मिल जाएंगे। इसके बाद 10 मई को डॉक्टर ईशान अवस्थी के बैंक खाते में पूरे 50 हजार रुपए वापस आए, तब कहीं जाकर 11 रोज से परेशान अवस्थी परिवार ने राहत की सांस ली।