
पिछले तीन सालों में धाान की बंपर खरीदी हुई है। राज्य के चावल की जरूरत से दोगुना उत्पादन हो रहा है। ऐसा केवल छग के साथ नहीं है बल्कि कई राज्य सरप्लस धान का उत्पादन कर रहे हैं। गोदामों में चावल भरा हुआ है। धान की फसल ने दलहन और तिलहन के रकबे को निगल लिया है। इसलिए छग सरकार ने इस बार खरीफ में धान के बदले दूसरी फसल का रकबा बढ़ाने का आदेश दिया है। रायगढ़ जिले में 24479 हे. रकबे का टारगेट है जिसे पूरा करने 80191 किसानों को चुना गया है। कलेक्टर ने सभी किसानों से सहमति पत्र लेने का आदेश दिया है। सहमति पत्र के प्रारूप में 12 फसलें और रकबे का कॉलम है। किसान से लिखवाया जा रहा है कि वह कुछ रकबे पर धान की जगह पर दूसरी फसल लेगा। अक्टूबर में धान पंजीयन के दौरान इस सहमति पत्र के आधार पर किसान के कोटे से उतना रकबा कम किया जाएगा। इसी वजह से अभी तक 80 हजार में से केवल 2 हजार किसानों ने करीब डेढ़ हजार हे. रकबे की सहमति दी है। खरीफ वर्ष 21-22 में 962 हे. में ही दूसरी फसल लगाई गई थी।
पैदावार की वजह से किसान नहीं मानते
खरीफ में धान के अलावा दूसरी फसलों के लिए बाजार नहीं होने के कारण किसान रुचि नहीं दिखाता। इस वर्ष दलहन की खरीदी एमएसपी पर की जानी है। रायगढ़ जिले में उड़द की पैदावार अच्छी है, लेकिन अरहर और मूंग का उत्पादन बहुत अच्छा नहीं है। टिकरा फसलों के अलावा खेतों में दूसरी फसलें लेने पर भी यही स्थिति है। इसलिए हर किसान अपने टिकरा का पंजीयन भी धान खरीदी के लिए करवाता है। इसको रोकने के लिए ही सहमति पत्र भरवाया जा रहा है।




