
- बिना टीपी के होता रहा रेत का खनन व परिवहन,रायगढ़ और पुसौर के हैं रेतघाट,साल भर में महज 68 लाख का राजस्व
रायगढ़। रेत खदानों के संचालन में राज्य सरकार की प्लानिंग फेल हो चुकी है। 39 की तुलना में केवल 12-13 रेत घाट ही चल रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि चालू रेत खदानों में से पांच ऐसी हैं, जिनके लिए साल भर कोई रॉयल्टी ही नहीं ली गई। मतलब इन रेत खदानों से खनन और परिवहन अवैध तरीके से किया गया। रेत खदानों को नीलामी के जरिए निजी हाथों में सौंप दिया गया। प्रक्रिया इतनी धीमी थी कि तीन साल बाद भी केवल 16 खदानें सक्रिय हैं। पहले करीब 40 रेत घाट संचालित थे जिनकी कमान ग्राम पंचायतों को मिली थी। रेत घाटों में अनियमितता भी बड़े पैमाने पर हो रही है। जितनी भी रेत निकाली जाती है, उसका परिवहन बिना टीपी के नहीं हो सकता।
वर्तमान में रायगढ़ जिले में जसरा, बैहामुड़ा,गोलाबुड़ा, पुसाल्दा, सूरजगढ़, पडिग़ांव, साल्हेपाली, धनुहारडेरा, बेलरिया, टिहलीरामपुर, महलोई, बुडिय़ा, पिहरा,सरडामाल, औराभाठा और तारापुर रेत खदानें चल रही हैं।
रेत परिवहन के लिए खनिज विभाग से टीपी जारी की जाती है। इसी आधार पर राजस्व मिलता है। इनमें से पांच रेत खदानें सूरजगढ़,पडिग़ांव,साल्हेपाली, धुनहारडेरा और बेलरिया के लिए वर्ष 21-22 में रॉयल्टी पर्ची ही नहीं ली गई। मतलब नीलामी के बाद भी इन खदानों से मिलने वाला राजस्व निरंक रहा। इन पांचों रेत घाटों से अवैध खनन किया गया है। खनिज विभाग को उतना ही राजस्व मिला जो नीलामी के समय बोलीदारों द्वारा जमा की गई थी। सफल बोलीदार ने जो प्रीमियम दिया, उसके अलावा रॉयल्टी मिलनी थी। रेत तो निकाली गई लेकिन रॉयल्टी नहीं मिली।
मात्र 68 लाख का मिला राजस्व
रेत खदानों के संचालन में बड़ा घोटाला किया जा रहा है। सफल बोलीदारों ने रेत खनन को लेकर सही जानकारियां छिपाईं।
वर्ष 21-22 में जिले में 68.79 लाख का राजस्व मिला है। रेत का खनन ज्यादा किया गया लेकिन रॉयल्टी कम संख्या में जारी हुई। स्वीकृत क्षेत्र के बजाय दूसरी जगह खनन किया गया।




