
- महाजेंको के कोयला खदान अंतर्गत 14 गांवों में बड़ी गड़बड़ी
तमनार। तमनार के कोयला खदान प्रभावित क्षेत्रों में बहुत संदिग्ध गतिविधियां चल रही हैं, जिसका भारी नुकसान होने वाला है। महाजेंको के कोल ब्लॉक की सीमा में 14 गांव विस्थापित होने वाले हैं। लेकिन इससे पहले गांवों में धड़ाधड़ बहुमंजिला इमारतें बन रही हैं। अपर कलेक्टर ने इन गांवों में डायवर्सन पर रोक लगाई है लेकिन मकानों का निर्माण नहीं रोका जा सका है।
महाराष्ट्र स्टेट पावर जेनरेशन लिमिटेड को तमनार में गारे पेलमा सेक्टर-2 आवंटित हुआ है। इसके तहत कुल 2077.616 हे. भूमि का सरफेस राइट के तहत अधिग्रहण किया जा रहा है। इसकी जद में 14 गांव भी आ रहे हैं, जहां इन दिनों बहुत चहल-पहल है। पिछले कुछ महीनों से अचानक इन गांवों में बहुमंजिला इमारतों के निर्माण में तेजी आ गई है। जिस व्यक्ति की हैसियत दो कमरों का पक्का मकान बनाने की नहीं है, वह भी अपनी जमीन पर विशाल भवन निर्माण कर रहा है। इसकी वजह मुआवजा राशि है।
गांवों में अचल संपत्ति का सर्वे अब तक नहीं हो सका है। इसलिए ग्रामीणों की जमीनों पर बहुमंजिला भवन बनाए जा रहे हैं। इन गांवों में जमीनों की खरीद-बिक्री पर 26 फरवरी 2021 को रोक लगाई गई थी। इसके बाद अपर कलेक्टर ने 5 अगस्त 2021 को भालूमुड़ा, चितवाही, डोलेसरा, ढोलनारा, गारे, झिंकाबहाल, लिबरा, रोडोपाली, टिहलीरामपुर, सारसमाल, मुड़ागांव, सराईपाली, पाता और कुंजेमुरा डायवर्सन में भी रोक लगाने आदेश जारी किया है। लेकिन इससे भी कुछ फर्क नहीं पड़ा। खरीदी-बिक्री बंद होने के बाद अब वहां जिले के कई भू-माफिया सक्रिय हो चुके हैं। ग्रामीणों से समझौता करके उनकी जमीनों पर ये भू-माफिया मकान बना रहे हैं। चूंकि पक्के मकान का मुआवजा अधिक मिलता है, इसलिए निर्माण चल रहे हैं। इसे रोकने के लिए कोई कोशिश नहीं हो रही है, और न ही गांवों को विस्थापित करने के लिए प्रक्रिया चल रही है। सर्वे करने में देरी की क्या है वजह…?
महाजेंको की जनसुनवाई पूरी हो चुकी है। लेकिन इन 14 गांवों की भूमि को अधिग्रहित करने कोई भी प्रक्रिया नहीं अपनाई जा रही है। महाजेंको ने भी इस संबंध में आवेदन नहीं किया है। राजस्व विभाग को जल्द सर्वे कर प्रभावितों और उनकी अचल संपत्ति का विवरण देना पड़ेगा। इसी आधार पर अवार्ड होगा। आबादी को दूसरी जगह बसाने के लिए कंपनी को जमीन भी खरीदनी होगी। वहां मकान तैयार होने के बाद ही ग्रामीण इन गांवों को छोड़कर जाएंगे।
कौन दे रहा अवैध निर्माण को संरक्षण
बिना अनुमति के इन 14 गांवों में धड़ल्ले से पक्के मकान बनते जा रहे हैं। घरघोड़ा और तमनार के राजस्व अधिकारियों को मालूम है कि कैसे ठेकेदारों ने सांठगांठ करके निर्माण किए हैं। सवाल यह उठ रहा है कि 2015 में कोल ब्लॉक आवंटन के बाद सात साल में कंपनी अचल संपत्ति व निर्माणों का सर्वे नहीं करवा सकी। अब जिस तेजी से मकान बन रहे हैं, इनका मुआवजा आकलन किया जाएगा तो करोड़ों रुपए की चोट कंपनी को ही लगेगी।





