बिलाईगढ को जोड़ने का विरोध क्यों :- सारंगढ एक निर्विवाद व एरिया में भी एक बढिया जिला बनता परन्तु इसमें बिलाईगढ को जोडने का विरोध छोटे ही रूप में ही वही सर्वत्र नजर आ रहा है। सारंगढ जिले की मांग के लगभग पचास वर्ष बाद सारंगढ जिला तो बना पर सारंगढ के साथ नाम बिलाईगढ को जोड दिया गया है जबकि अगर देखा जाए तो सारंगढ अनुविभाग जिसमें तहसील सारंगढ, बरमकेला व उप तहसील कोसीर शामिल है तथा इन्हीं को मिलाकर ही सारंगढ को जिला घोषित किया जा सकता था तथा अगर शामिल करना ही था तो सरसींवा व भटगांव तक शामिल किया जाना अधिक उचित प्रतीत होता है ।
क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि :- सारंगढ- बिलाईगढ जिले के सम्बंध में विधायक उत्तरी जांगडे जिलाध्यक्ष ग्रामीण अरूण मालाकार नगरपालिका अध्यक्ष सोनी अजय बंजारे, जिला पंचायत सभापति अनिका बिनोद भारद्वाज, सुरज तिवारी रविन्द्र नन्दे, गोल्डी नायक इत्यादि सहित अन्य कई नेताओं ने कहा है कि और भी कई जिले सम्मिलित नाम से बनें हैं जिसमें से पहले नाम के शहर में ही मुख्यालय बनें हैं जिसमें मानपुर-मोहल्ला, गौरेल्ला-पेण्ड्रा-मारवाही इत्यादि सहित अन्य कई जिलें हैं वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी आश्वासन दिया है कि समस्त मुख्यालय सारंगढ ही होंगे अतः बिलाईगढ का नाम शामिल होना कोई भी आपत्तिजनक नहीं होने के कारण ही हमने विरोध नहीं किया जिससे कि सारंगढ की सबसे बड़ी व वर्षों पुरानी व बहुप्रतिक्षित मांग पूरी हो सकी रही बात विरोध की तो इस मामले में कुछ लोग व्यक्तिगत स्वार्थ पूर्ति के लिए ही विरोध कर अपनी रोटी सेंकने का प्रयास कर रहे हैं जिसे जनता सफल नहीं होने देगी तथा सारे मुख्यालय सारंगढ ही होगा ऐसा आश्वासन मुख्यमंत्री के द्वारा दिए जाने के कारण यह आपत्ति बेबुनियाद है कि बिलाईगढ में मुख्यालय होंगें तो सरिया व बरमकेला को दूर पडेगा। वहीं दूसरी ओर भाजपा के नेताओं मण्डल अध्यक्ष अमित रिंकू तिवारी, पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष अमित अग्रवाल, संतोष गुप्ता इत्यादि सहित अन्य कई भाजपा के नेताओं ने कहा है कि सारंगढ जिले की मांग की पूर्ति हांलाकि उपलब्धि जनक है परन्तु सारंगढ को वैसा ही जिला बनाना था जैसी इसकी परिकल्पना पूर्व में थी अर्थात इसमें बिलाईगढ को जोडने का कोई भी औचित्य नजर नहीं आता है।