इस अभियान में जिले के सभी सेक्टरों के सीडीपीओ, सेक्टर सुपरवाईजर एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। जिनके माध्यम से कुपोषित बच्चों एवं गर्भवती व शिशुवती माताओं को ट्रैक कर उनके स्वास्थ्य और खानपान का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। यह इसलिए भी आवश्यक हो जाता है क्योंकि गर्भवती माताओं का पोषण स्तर कम होने पर उसका सीधा असर बच्चे पर पड़ता है तथा बच्चा कुपोषित हो सकता है। इसके अलावा कई दफे घर में बच्चों के उचित देखभाल और आहार के अभाव में अधिकांश बच्चे कुषोषण के कुचक्र में आ जाते है। जिसके लिए शासन द्वारा एनआरसी केन्द्रों के संचालन किया जा रहा है। पोषण पुनर्वास केन्द्र के माध्यम से जिले के कुपोषित बच्चों का इसका लाभ भी मिला है। लेकिन कोविड के नए वेरिएंट के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए बच्चों के स्वास्थ्य के लिहाज से जिले के एनआरसी सेंटर में बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है। स्वास्थ्य परीक्षण के पश्चात एनआरसी के मापदंड के अनुसार बच्चों का चयन का उन्हें एनआरसी की सुविधा दी जा रही है, ताकि कुपोषित बच्चा जल्द कुपोषण के कुचक्र से निकल सके।
कुपोषित बच्चों को समर्पित है पोषण पुनर्वास केन्द्र
पोषण पुनर्वास केन्द्र का मुख्य लाभ है कि यहां कुपोषित बच्चों को समर्पित है जहां बच्चों की उचित देखभाल के साथ ही खान-पान के रूटिन का भी विशेष ध्यान दिया जाता है। देखभाल और पौष्टिक भोजन के फलस्वरूप बच्चे शीघ्र सुपोषित हो जाते है। एनआरसी में बच्चों के मनोरंजन का विशेष ध्यान में रखा जाता है, यहां बच्चों के खिलौने व टीवी की व्यवस्था की गई है। एनआरसी केन्द्रों में स्वास्थ्य एवं पोषण से जुड़े शिक्षाप्रद वीडियो दिखाए जाते जिससे अभिभावक अपने बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक हो सके।