छत्तीसगढ़

रकबे में अंतर के कारण आत्महत्या की घटना पूरी तरह भ्रामक

राजनांदगांव – छुरिया विकासखंड के ग्राम करेगांव के किसान सुरेश कुमार के रकबे में अंतर के कारण आत्महत्या किए जाने के संबंध में समाचार पत्र में प्रकाशित तथ्य पूरी तरह से भ्रामक है। मृतक सुरेश कुमार की पत्नी ने यह स्वीकार किया है कि भर्री जमीन जिसका रकबा 1.7 एकड़ है में धान की फसल नहीं ली गई है। गिरदावरी में किसी प्रकार की त्रुटि नहीं है। मृतक के 2.03 एकड़ में धान की फसल ली गई थी। जिसके लिए पात्रता के अनुसार उनका धान का विक्रय करने पर 76 हजार 415 रूपए की राशि मिलती। गिरदावरी के अनुसार मृतक का जितना धान का रकबा था उतने का पंजीयन किया है। शेष भूमि पर उसने कोई फसल नहीं लगाई थी, इसलिए गिरदावरी के अनुसार उसका पंजीयन नहीं किया गया है। उसने 44 हजार का ऋण लिया था। धान का विक्रय करने पर 76 हजार 415 रुपए की राशि मिलती। राजस्व विभाग ने गिरदावरी का प्रकाशन किया था। दावा आपत्ति के लिए आवेदन भी मंगाए गए थे। मृतक सुरेश ने दावा आपत्ति के लिए आवेदन भी नहीं किया था। न ही किसी राजस्व अधिकारी को जानकारी दी गई थी।
इस संबंध में जिला प्रशासन ने स्थानीय स्तर पर जांच कराई गई, जांच में यह पाया गया कि मृतक के धान के रकबे एवं पंजीयन में किसी प्रकार की त्रुटि नहीं हुई थी। पुलिस आत्महत्या की जांच कर रही है । मृतक के पास से कोई सुसाइड नोट आदि प्राप्त नहीं हुआ है। उल्लेखनीय है कि मृतक का गिरदावरी के आधार पर ही धान बिक्री के लिए पंजीयन किया गया था। जिले में रकबा को लेकर कोई समस्या नहीं है। धान खरीदी के लिए किसानों की सुविधा के लिए जिला प्रशासन ने हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। गिरदावरी के अनुसार मृतक के संयुक्त खाते की भूमि रकबा 1.538 हेक्टेयर में से रकबा 0.825 हेक्टेयर पर धान बोया था ।जिसके अनुसार रकबा 0.825 हेक्टेयर का पूर्ण पंजीयन हुआ है।

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