इसके लिए प्रयास करना होगा
जो भी वस्तुएं बाहर से मंगाई जाती हैं या भेजी जाती हैं, उन पर ज्यादा निर्भरता से तब परेशानी होती है जब उसकी आपूर्ति मांग के अनुसार नहीं होती है। जैसे डीएपी खाद खेती क लिए जरूरी है। इसकी एक खास समय में मांग रहती है. इसकी आपूर्ति केंद्र सरकार करती है। कई बार खाद की आपूर्ति समय पर उतनी नहीं हो पाती है जितनी मांग रहती है।सभी किसान इसका कम या ज्यादा उपयोग करते हैं इसलिए इसकी बाजार में खूब मांग भी रहती है। जब यह नहीं मिलती है या ज्यादा कीमत पर मिलती है तो किसानों को परेशानी होती है। ऐसी नौबत न आए इसके लिए ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसानों से कहा है कि वह डीएपी के विकल्प के रुपए वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करें। उन्होंने कहा है कि आज पूरे देश में रासायनिक खाद की कमी है।भारत सरकार किसानों को खाद की आपूर्ति नहीं कर पा रही है।इससे कृषि प्रभावित होगी।आने वाले समय में भी रासायनिक खाद की आपूर्ति में दिक्कत आ सकती है।ऐसे मेें राज्य के गौठानों में बन रहा वमी कंपोस्ट डीएपी का अच्चा विकल्प हो सकता है। वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करने के खेत की मिट्टी सुधरेगी, उर्वका शक्ति बढ़ेगी। सबस अच्छी बात तो यह होगी कि राज्य के गौठानों में बनाई जा रही वर्मी कंपोस्ट का उपयोग राज्य में बढ़ेगा तो इससे राज्य व उसके लोगों को ही फायदा होगा। किसान खेतो में जितना ज्यादा वर्मी कंपोस्ट का उपयोग करेंगे ,उससे राज्य में रासायनिक खाद का उपयोग कम होगा। गौठानो में गोबर खरीद से वर्मी कंपोस्ट खाद बनाने तक लोगों को रोजगार मिलेगा, लोगों को आय होगी, किसानों को गांव के आसपास ही वर्मी कंपोस्ट मिलेगा,उससे गांवों के साथ ही प्रदेश भी एक दिन खाद के मामले में स्वावलंबी होगा। वर्मी कंपोस्ट के उपयोग से पौष्टिक सब्जी,खाद्यान्न का उत्पादन होगा। जिससे लोगों को स्वस्थ्य अच्छा रहेगा। यह सिर्फ सीएम क अपील कर देने से नहीं होगा। इसके लिए हर स्तर पर प्रयास करना होगा। किसानों को यकीन दिलाना होगा कि रासायनिक खाद की जगह वर्मी कंपोस्ट का उपयोग क्यों उनके लिए अच्छा है। इससे उनको क्या फायदा होगा। इसके लिए वर्मी कंपोस्ट की गुणवत्ता अच्छ रखनी होगी,कीमत रासायनिक खाद से कम रखनी होगी। उसकी उपलब्धता सहज, सुलभ होनी चाहिए।