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राम मंदिर ट्रस्ट को मिलेंगे 11 करोड़ रुपए, बैंक में जमा है राशि

अयोध्या। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए मोदी सरकार ने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का ऐलान कर दिया है। नवगठित ट्रस्ट को मंदिर निर्माण के लिए अधिग्रहीत भूमि के अलावा रामलला विराजमान को चढ़ावे में मिले करीब 11 करोड़ रुपये और स्वर्ण आभूषण भी सौंपे जाएंगे। प्राप्त जानकारी के अनुसार चढ़ावे की यह धनराशि भारतीय स्टेट बैंक की अयोध्या शाखा में जमा है।

दिसंबर 1992 की घटना के बाद तत्कालीन केन्द्र सरकार ने सात जनवरी 1993 को भूमि अधिग्रहण कानून पारित किया था। 1994 में मोहम्मद इस्माइल फारुखी के केस की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने इस कानून को मान्यता दे दी थी। तभी से भारतीय स्टेट बैंक में खाता खुलवाकर रामलला के दानपात्र की धनराशि जमा कराई जाती है। यह भी जानकारी दी गई कि चढ़ावे की इस धनराशि के अलावा स्वर्णाभूषण भी हैं जिनका फिलहाल मूल्यांकन नहीं कराया गया है। यह सभी आभूषण जिला कोषागार में रखवाए गए हैं। ट्रस्ट को बैंक राशि के अलावा यह आभूषण भी साथ में प्रदान किए जाएंगे।

रामलला के चढ़ावे से पुजारियों को बंटता भत्ता
रामलला को चढ़ावे में मिली राशि से मुख्य पुजारी और चार अन्य पुजारियों को मासिक भत्ता दिया जाता है। सरकारी सूत्रों के अनुसार, रामलला के नियमित पूजन- अर्चन के लिए धूप,दीप, नैवेद्य व फूल-माला इत्यादि सहित अन्य खर्चों को मिलाकर मुख्य पुजारी आचार्य सत्येन्द्र दास को वर्तमान में एक लाख दो हजार रुपये का भुगतान प्रतिमाह किया जा रहा है। यह धनराशि बीते तीन माह से भत्ते व अन्य मदों में वृद्धि के बाद दी जा रही है। इसके पहले 93,200 रुपये दिए जाते थे।

नवगठित ट्रस्ट को हस्तान्तरित होगी रामजन्मभूमि न्यास की सम्पत्ति
श्रीरामजन्मभूमि न्यास की सम्पत्ति भी नवगठित ट्रस्ट को हस्तान्तरित की जाएगी। राम मंदिर आन्दोलन के दौरान रामजन्मभूमि न्यास का गठन कर मंदिर निर्माण के लिए देश भर के छह लाख गांवों में रामभक्तों से सवा-सवा रुपए का दान एकत्र किया गया था। मणिराम छावनी के पीठाधीश्वर एवं श्रीरामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास महाराज का कहना है कि इससे करीब आठ करोड़ की धनराशि एकत्र की गई थी। इसी धनराशि से मंदिर निर्माण के पत्थर इत्यादि की खरीद की गई और कारीगरों को भी इसी से भुगतान किया गया। अब कोई धनराशि खाते में शेष नहीं है लेकिन न्यास की जो भी अचल सम्पत्ति होगी, वह ट्रस्ट को समर्पित कर दी जाएगी।

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