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गौशाला खरसिया में होगा भव्य गोपाष्टमी मेले का आयोजन…

प्रातः 07 बजे से शाम 07 बजे तक होगा गो पूजन आरती प्रसाद वितरण

यूं तो हमारा नगर धर्म-कर्म,व्यापार-व्यवसाय नैतिक राजनैतिक के अनेकों उतार-चढ़ाव को देखा…धार्मिक नगरी खरसिया में स्थित श्री मदन मोहन गौशाला में प्रति वर्ष कि भांति इस वर्ष भी 12 नवम्बर शुक्रवार को भव्य गोपाष्टमी मेला का आयोजन दोपहर 03 बजे से रात्रि 08 बजे तक किया जा रहा है।

जिसमें मुख्य अतिथि अशोक मोदी जी फाउंडर अध्यक्ष श्री कृष्ण सेवा समिति, कृष्णा ग्रुप के चेयरमैन, प्रसिद्ध उद्योगपति,समाजसेवी, एवं गौ सेवक, कोरबा तथा विशिष्ट अतिथि गिरिधर गुप्ता सुनील शर्मा बजरंग अग्रवाल एलआर होंगे प्रतिवर्ष कार्तिक सुदी अष्टमी को गौ पूजा का पर्व गोपाष्टमी मनाया जाता है।

इस वर्ष भी श्री मदन मोहन गौशाला में गोपाष्टमी पर्व एवं मेला के लिए जोरदार तैयारियां की जा रही हैं। गौशाला की साफ सफाई कर रंग रोगन किया जाकर गौशाला को सजाया संवारा गया है।

गौशाला में प्रतिवर्ष गौ पूजन पर्व मनाया जाता है इस वर्ष भी प्रातः 07 बजे से शाम 07 बजे तक गो पूजन आरती प्रसाद वितरण किया जाएगा इस अवसर पर विशाल जन्माष्टमी मेले का आयोजन भी किया गया है जिसका बडी संख्या में लोग आनंद उठाते हैं। यहां यह बताना लाजमी होगा कि जब से खरसिया के युवाओं की टीम ने गौशाला का प्रबंधन संभाला है तब से मदन मोहन गौशाला नित नई ऊंचाइयों को स्पर्श कर रहा है। इस वर्ष 12 नवम्बर शुक्रवार को गौ पूजन पर्व एवं भव्य गोपाष्टमी मेला का आयोजन किया जा रहा है। जिसके लिए 1 सप्ताह पूर्व से ही युवाओं की टीम गौशाला के प्रांगण ,गौठान की साफ सफाई एवं रंगरोगन कर गौशाला को सजाने संवारने में लगी हुई है। विगत कई वर्षों से गौ माता की सेवा सुचारु रुप से संचालित की जा रही है जिसके कारण उच्च कोटि का दाना, हरित घास, चिकित्सकीय देखरेख से गौ की मृत्युदर निम्नतम रही और दूध का उत्पादन, वितरण उत्तरोत्तर संतोषजनक रूप से बढ़ रहा है ।

इस वर्ष गोपाष्टमी में विशाल मेले का आयोजन प्रति वर्ष की भाति किया जा रहा है। मेले में झूले,चाट के ठेले,गुब्बारे,होटल लगाये जायेंगे, कार्यकारिणी समिति ने समस्त नगर एवं ग्रामवासियों से गोपाष्टमी मेला में सपरिवार इष्ट मित्रों सहित गौ दर्शन गौ पूजा एवं मेला का आनंद उठाने की अपील की है। इसके साथ ही 13 नवंबर 2021 दोपहर 12:00 बजे भंडारा रूपी प्रसाद का आयोजन किया गया है समिति द्वारा सभी गौ भक्तों से परिवार और इष्ट मित्रों सहित पधार कर भंडारे का प्रसाद ग्रहण करने का आग्रह किया गया है

धार्मिक मान्यताएं और गो पूजन का महत्व

गोपाष्टमी हिंदू संस्कृति का एक प्रमुख पर्व है गायों की रक्षा करने के कारण भगवान श्री कृष्ण जी का अतिप्रिय नाम ‘गोविन्द’ पड़ा।कार्तिक, शुक्लपक्ष,प्रतिपदा से सप्तमी तक गो-गोप-गोपियों की रक्षा के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था। 8वें दिन इन्द्र अहंकार रहित होकर भगवान की शरण में आये।
कामधेनु ने श्रीकृष्ण का अभिषेक किया और उसी दिन से इनका नाम गोविन्द पड़ा। इसी समय से अष्टमी को गोपोष्टमी का पर्व मनाया जाने लगा, जो कि अब तक चला आ रहा है। इस दिन प्रात: काल गौओं को स्नान कराएँ तथा गंध-धूप-पुष्प आदि से पूजा करें और अनेक प्रकार के वस्त्रालंकारों से अलंकृत करके ग्वालों का पूजन करें, गायों को गो-ग्रास देकर उनकी प्रदक्षिणा करें और थोड़ी दूर तक उनके साथ में जाएँ तो सभी प्रकार की अभीष्ट सिद्धि होती हैं। गोपाष्टमी को सांयकाल गायें चरकर जब वापस आयें तो उस समय भी उनका अभिवादन और पंचोपचार पूजन करके कुछ भोजन कराएँ और उनकी चरण रज को माथे पर धारण करें। उससे सौभाग्य की वृद्धि होती है। भारतवर्ष के प्राय: सभी भागों में गोपाष्टमी का उत्सव बड़े ही उल्लास से मनाया जाता है। विशेषकर गोशालाओं लिए यह बड़े ही महत्त्व का उत्सव है। इस दिन गोशालाओं की संस्था को कुछ दान देना चाहिए। इस प्रकार से सारा दिन गो-चर्चा में ही लगना चाहिए। ऐसा करने से ही गो वंश की सच्ची उन्नति हो सकेगी, जिस पर हमारी उन्नति सोलह आने निर्भर है। गाय की रक्षा को हमारी रक्षा समझना चाहिए। इस दिन गायों को नहलाकर नाना प्रकार से सजाया जाता है और मेंहदी के थापे तथा हल्दी रोली से पूजन कर उन्हें विभिन्न प्रकार का भोजन कराया जाता है।
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Gopal Krishna Naik

Editor in Chief Naik News Agency Group

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