खादी मास्क अनिवार्य: आयोग के इस कदम से बिहार में चुनाव के बहाने खादी को मिलेगा नया जीवन

आमतौर पर अब तक खादी की मांग नेताओं के पोशाक के लिए होती है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती दो अक्टूबर, 15 अगस्त और 26 जनवरी के अवसर पर भी खादी की मांग थोड़ी बढ़ जाती है। चुनाव के मौके पर भी खादी की मांग बढ़ती है, लेकिन इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में विशेष रूप से खादी की अहमियत बढ़ेगी।
दरअसल, कोरोना काल में हो रहे चुनाव में मतदान के लिए करीब आठ करोड़ मास्क की जरूरत होगी। निर्वाचन आयोग ने खादी मास्क को अनिवार्य बनाया है। इसके जरिए खादी का कारोबार बढ़ने और उसे एक नया जीवन मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। बिहार निर्वाचन विभाग ने सभी डीएम को पत्र लिखकर मतदान के दिन वोटरों, चुनावकर्मियों और सुरक्षाबलों को कोरोना संक्रमण से बचने के लिए अनिवार्य रूप से मास्क लगाने का निर्देश दिया है।
अपर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रंजीता ने स्वास्थ्य सचिव और जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में निर्देश दिया है कि खादी मास्क स्वास्थ्य विभाग उपलब्ध कराएगा। राज्य निर्वाचन विभाग आयोग की जानकारी के मुताबिक सूबे में करीब 7 करोड़ 29 लाख वोटर हैं। इसके अलावा एक लाख बूथों पर मतदान की व्यवस्था में लगे अफसर, कर्मचारियों और सुरक्षाकर्मियों के लिए मास्क की जरूरत होगी। इनके लिए स्वास्थ्य विभाग मास्क खरीदकर जिला प्रशासन को उपलब्ध कराएगा।
दो लाख लोगों को मिलेगा काम
बिहार राज्य बुनकर कल्याण समिति के सदस्य और रेशम बुनकर खादी ग्रामोद्योग संघ के अध्यक्ष अलीम अंसारी ने बताया कि आठ करोड़ मास्क के लिए एक करोड़ मीटर से अधिक खादी कपड़े की दरकार होगी। करीब 20 रुपये में एक मास्क आएगा। ऐसे में डेढ़ अरब रुपये से अधिक का कारोबार होने की उम्मीद है। इसे लेकर खादी संस्थाएं उत्साहित हैं। राज्यभर में 83 खादी संस्थाएं हैं। सलमा सिल्क खादी समिति, कजरैली के सचिव मो. मुतकीम ने बताया कि मास्क बनाने में दो लाख बुनकरों को काम मिलेगा। इनमें दर्जी और महिलाओं भी शामिल है। ये कपड़े तैयार करने से लेकर रंगाई और सिलाई का काम करेंगे। जीविका दीदियां भी मास्क तैयार कर बेचेंगी।
आरामदायक होता है
जेएलएनएमसीएच के उपाधीक्षक डॉ. एके दास ने बताया कि खादी का मास्क लगाने में सहूलियत होती है। यह आरामदायक होता है। त्वचा पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है। साथ ही यह स्वदेशी वस्त्र भी है।




