सामना में शिवसेना ने कहा- कोरोना नियमों पर भी हुई राजनीति, खामियाजा महाराष्ट्र की जनता को भुगतना पड़ा
मुंबई: महाराष्ट्र में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए दो जिलों में लॉकडाउन लगा दिया गया है. इस बीच शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में आज कोरोना के नियमों पर हो रही राजनीति पर लेख लिखा है. शिवसेना का कहना है कि कोरोना के नियमों पर भी राजनीति की गई, इसका खामियाजा जनता व राज्य को भुगतना पड़ रहा है.
सामना की संपादक रश्मि उद्धव ठाकरे ने कहा, ‘कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले द्वारा अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार के विरोध में ‘शूटिंग रोको’ आंदोलन करने का एलान करते ही कोरोना ने उनके कार्यालय में प्रवेश किया और नाना को विलगीकरण कक्ष में जाना पड़ा. एकनाथ खडसे को लगातार तीसरी बार कोरोना हुआ है. यह थोड़ा अजीब ही है. गृहमंत्री अनिल देशमुख हाल ही में कोरोना के पाश से मुक्त हो रहे हैं. महाराष्ट्र का मंत्रिमंडल, प्रशासन इस तरह से कोरोना के जाल में फंसा है.’
लेख में आगे कहा गया, ‘मुख्यमंत्री ठाकरे बारबार जिस खतरे की चेतावनी देते रहे हैं, वो सही साबित हुआ है. ये खोलो और वो खोलो अन्यथा हम आंदोलन करेंगे. ऐसी धमकियां विरोधी देते रहे, कोरोना के नियमों पर भी राजनीति की गई. इसका खामियाजा जनता व राज्य को भुगतना पड़ रहा है. बीच में तो कोरोना के मरीजों की संख्या घट रही थी. महज इस वजह से नागरिक कोरोना को भूल गए. नागरिकों की लापरवाही फिर शुरू हो गई. उस लापरवाही को विरोधियों ने इतना खाद-पानी दिया कि मानो सरकार को ही खलनायक बना दिया.’
कोरोना बढ़ने की जिम्मेदारी राज्य के विरोधी लेंगे?
सामना में शिवसेना ने सवाल किया है कि महाराष्ट्र में अब जो कोरोना बढ़ रहा है, उसकी जिम्मेदारी राज्य के विरोधी लेंगे क्या? लेख में लिखा कहा, “अब जो कोरोना बढ़ रहा है, उसकी जिम्मेदारी राज्य के विरोधी लेंगे क्या? अमरावती, यवतमाल, अकोला में कोरोना का संसर्ग बढ़ने के कारण वहां फिलहाल तो जमाव बंदी लागू की गई है. परंतु कुछ जिलों में एक बार फिर लॉकडाउन लगाना पड़ेगा.”
शिवसेना ने ये पूछा कि सरकार ने एक बार निर्णय लिया तो उस बारे में पूरी तरह विचार किए बिना विरोधियों को सिर्फ हंगामा करना है. ये लोगों की सुरक्षा की दृष्टि से ठीक नहीं है. मंदिर खोल दिए, लोकल ट्रेन शुरू हो गर्इं, बाजार खोल दिए, परंतु लोग नियमों का पालन करने को तैयार नहीं हैं. ये वैसे चलेगा?
कोरोना का विषाणु बीजेपी नेताओं पर धावा बोल दे तो..?
सामना में विपक्ष पर भी जमकर निशाना साधा गया है. लेख में कहा गया, “हमने कई बार देखा कि राज्य के विपक्ष के नेता भी ‘मास्क’ लगाए बगैर सार्वजनिक कार्यक्रमों में घूमते हैं. ये उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है ही परंतु नेता की हैसियत से जनता को कौन-सी दिशा में ले जा रहे हो? पश्चिम बंगाल में बीजेपी को विजय हासिल करनी है, ये ठीक है. परंतु अमित शाह देश के गृहमंत्री हैं. बंगाल के सार्वजनिक कार्यक्रम में गृहमंत्री और उनके सहयोगी मास्क लगाए बगैर अथवा मास्क नाक के नीचे खींचकर ममता दीदी पर हमला करते हैं. ऐसे में कोरोना का विषाणु उन पर धावा बोल दे तो क्या होगा?”
शिवसेना ने कहा, “19 फरवरी को शिव जयंती के उपलक्ष्य में भी राजनीति की गई. छत्रपति शिवाजी महाराज ने भी कोरोना के संकट को देखते हुए जनता की रक्षा के लिए कड़ी पाबंदियां लगाई ही होतीं यह विरोधियों को समझ लेना चाहिए. राजनैतिक सम्मेलनों, विवाह समारोहों में इसी तरह ज्यादातर लोग मास्क नहीं लगाते हैं. सामाजिक दूरी का ध्यान नहीं रखते हैं. लोग लापरवाह क्यों हैं? हालात ऐसे ही रहे तो कोरोना की नई लहर नहीं, बल्कि लहरें आएंगी. ऐसा संकेत कोरोना से संबंधित राज्य कृति दल के अध्यक्ष डॉ. संजय ओक ने दिया है. कम-से-कम डॉक्टरों की तो सुनो!”