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29 के पेट्रोल पर 53 रुपये टैक्स, डीजल का बेस प्राइस सिर्फ 30.55 रुपये लीटर

पेट्रोल और डीजल के दाम में पिछले महीने से ही आग लगी हुई है। अन्तर्राष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की महंगाई को सरकारें भले ही दुहाई दे रही हैं, लेकिन हकीकत यह है कि हम 29 रुपये 34 पैसे लीटर वाले पेट्रोल की कीमत 88 रुपये से अधिक चुका रहे हैं। वहीं डीजल की बात करें तो इसका बेस प्राइस दिल्ली में एक फरवरी को केवल 30 रुपये 55 पैसे था, जबकि इस दिन मार्केट में यह 76 रुपये 48 पैसे लीटर बिक रहा था।

एक फरवरी 2021 को दिल्ली में तेल का दाम और उस पर टैक्स

विवरण  पेट्रोल रुपये/लीटर डीजल रुपये/लीटर
बेस प्राइस 29.34 30.55
भाडा़ व अन्य खर्चे 0.37 0.34
डीलर का रेट (Excise Duty और VAT को छोड़कर) 29.71 30.89
Excise Duty 32.98 31.83
डीलर का कमिशन 3.69 2.54
VAT (डीलर के कमिशन के साथ) 19.92 11.22
आपको मिलता है 86.3 76.48

स्रोत: IOC

दरअसल भारत में डीजल और पेट्रोल पर केंद्र सरकार जहां एक्साइज ड्यूटी के रूप में हर लीटर पर 32 रुपये से अधिक वसूलती है तो राज्य सरकारें वैट और उपकर लगाकर लोगों की जेब से अपना खजाना भर रही हैं। इसके अलावा दोनों तेलों पर भाड़ा और डीलर का कमीशन भी जुड़ता है, जो आम जनता से ही लिया जाता है। अगर राज्य सरकारों द्वारा पेट्रोल-डीजल पर लगाए जाने वाले टैक्स की बात करें तो राजस्थान में पेट्रोल पर वैट 36% और डीजल पर 26% है। पहले यहां सबसे अधिक वैट था।

अब वैट वसूलने के मामले में मणिपुर सबसे आगे हो गया है। यहां पेट्रोल पर 36.50% और डीजल पर 22.50% टैक्स वसूला जा रहा है। बड़े राज्यों में तमिलनाडु में पेट्रोल पर 15% और डीजल पर 11% टैक्स वसूला जाता है, लेकिन  यहां वैट के साथ पेट्रोल पर 13.02 रुपए और डीजल पर 9.62 रुपए प्रति लीटर सेस (उपकर) भी वसूला जाता है। ज्यादातर राज्य सेस वसूल रहे हैं। लक्षद्वीप एक मात्र ऐसा राज्य है, जहां वैट नहीं लिया जाता है।

केंद्र सरकार भी भर रही खजाना

पेट्रोलियम प्रोडक्ट पर एक्साइज ड्यूटी लगाकर केंद्र सरकार ने 2019-20 में 3.34 लाख करोड़ रुपए कमाए। मई 2014 में पहली बार जब मोदी सरकार बनी थी तब 2014-15 में एक्साइज ड्यूटी से 1.72 लाख करोड़ कमाई हुई थी, यानी सिर्फ 5 सालों में ही ये दोगुनी हो गई।

राहत की उम्मीद कम

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को संसद को बताया था कि तेल कीमतों के दाम रिकॉर्ड ऊंचाई से कम करने के लिए सरकार, उत्पाद शुल्क में कमी करने के बारे में विचार नहीं कर रही है।  उन्होंने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय तेल की कीमतें बढ़ गई हैं क्योंकि मांग में सुधार को देखते हुए एक वर्ष से भी अधिक समय में पहली बार कच्चतेल की कीमत 61 डॉलर प्रति बैरल की ऊंचाई पर जा पहुंचा है तथा कोविड-19 टीकों के वैश्विक स्तर पर बाजार में लाया गया है। खुदरा बिक्री मूल्य के पेट्रोल कीमत का 61 फीसद और डीजल कीमत पर 56 फीसद से अधिक भाग तो केंद्रीय और राज्य करों का होता है।

हर सुबह होती तय होती हैं कीमतें

दरअसल विदेशी मुद्रा दरों के साथ अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमत के आधार पर रोज पेट्रोल और डीजल की कीमतों में बदलाव होता है। ऑयल मार्केटिंग कंपनियां कीमतों की समीक्षा के बाद रोज़ाना पेट्रोल और डीजल के रेट तय करती हैं। इंडियन ऑयल , भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम रोज़ाना सुबह 6 बजे पेट्रोल और डीजल की दरों में संशोधन कर जारी करती हैं।

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